इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व काफी खास होने जा रहा है, क्योंकि इस दिन कुछ वैसे ही दुर्लभ योग बन रहा है जैसा 5251 वर्ष पूर्व यानी द्वापर युग में बना था। इस दिन सवार्थ सिद्धि, रोहिणी नक्षत्र के साथ सूर्य सिंह में, चंद्रमा वृषभ राशि में रहेगा। ऐसा दुर्लभ योग बनना काफी शुभ माना जा रहा है।
इस योग में पूजा करने से कई गुना अधिक फल मिलेगा। भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की मध्यरात्रि व्यापनी अष्टमी तिथि, बुधवार और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। जोतिषाचार्य पंडित अमित कोठारी ने बताया कि इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर 26 अगस्त को सवार्थ सिद्धि योग बन रहा है और रोहिणी नक्षत्र होने से एक विशेष योग बन रहा है।
तिथि के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद की कृष्णपक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि में हुआ था। इसलिए घरों और मंदिरों में मध्यरात्रि 12 बजे कृष्ण भगवान का जन्म उत्सव मनाते हैं। रात में जन्म के बाद दूध से लड्डू गोपाल की मूर्ति को स्नानादि कराने के बाद नए कपड़े और गहने पहनाकर शृंगार किया जाता है। फिर पालने में रखकर पूजा आदि के बाद चरणामृत, पंजीरी, ताजे फल और पंचमेवा आदि का भोग लगाकर प्रसाद के तौर पर बांटते हैं।
जन्माष्टमी शुभ योग
हिंदू पंचांग के अनुसार, सर्वार्थ सिद्धि योग शाम 03 बजकर 55 मिनट से अगले दिन सुबह 05 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। साथ ही अमृत काल दोपहर 01 बजकर 36 मिनट से 03 बजकर 09 मिनट तक रहेगा। वहीं, ब्रह्म मुहूर्त 04 बजकर 27 मिनट से 05 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। इसके साथ विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 23 मिनट तक रहेगा।