पहलवान अमन सहरावत ने शुक्रवार को पेरिस ओलंपिक 2024 में पुरुषों की 57 किलोग्राम फ्रीस्टाइल श्रेणी में प्यूर्टो रिको के डेरियन क्रूज़ को 13-5 से हराकर कांस्य पदक और भारत के लिए छठा पदक जीता।
इस जीत के साथ ही 2008 से अब तक हर ओलंपिक में कुश्ती में पदक जीतने का भारत का सिलसिला भी जारी रखा। हालांकि, अमन का भी वजन ज्यादा होने के कारण विनेश फोगाट जैसा ही हश्र होने वाला था। लेकिन, कड़ी मेहनत करने से उन्हें पात्रता मानदंड पूरा करने में मदद मिली।
अमन सहरावत ने कैसे घटाया वजन?
गुरुवार को शाम करीब 6:30 बजे जापान के री हिंगुची से हारने के बाद, अमन का वजन 61.5 किलोग्राम था जो स्वीकार्य सीमा से 4.5 किलोग्राम अधिक था। जिसे देख भारतीय खेमे में हड़कंप मच गया और दो वरिष्ठ कोच जगमंदर सिंह और वीरेंद्र दहिया ने 10 घंटे में वजन कम करने के बीड़ा उठाया।
अमन सेहरावत के वेट कम करने की शुरुआत डेढ़ घंटे के मैट सेशन से हुई। इस दौरान दोनों कोच ने अमन को स्टैंडिंग पोजीशन में कुश्ती लड़वाई। इसके बाद एक घंटे का हॉट बाथ सेशन हुआ। रात 12.30 बजे वो जिम में ट्रेडमिल पर बिना रुके एक घंटे तक दौड़े। इसके बाद उन्हें 30 मिनट का ब्रेक दिया गया। इसके 5 मिनट के बाद सौना बाथ के पांच सेशन पूरे कराए गए।
वजन घटाने के चक्कर में रात भर नहीं सोए अमन
अंतिम सेशन खत्म होने के बाद, सेहरावत का 3.6 किलो वजन कम हो गया था। फिर उन्हें मसाज दी गई, उसके बाद हल्की जॉगिंग और 15 मिनट की रनिंग सेशन। सुबह 4:30 बजे तक, उनका वजन 56.9 किलो रह गया, जो अनुमेय सीमा से 100 ग्राम कम था। तब जाकर कोच ने राहत की सांस ली।
अमन ने कांस्य पदक जीतकर रचा इतिहास
अमन ने कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया और देश के लिए पदक जीतने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय खिलाड़ी बन गए। 21 साल के युवा भारतीय पहलवान ने डेरियन टोई क्रूज को 13-5 के अंतर से धूल चटाकर कांस्य पदक अपने नाम किया। अमन जब 11 साल के थे तब उनके सिर से माता-पिता का साया उठ गया और छोटे उम्र में ही वो अनाथ हो गए। दुखों का पहाड़ टूटने के बावजूद उन्होंने जिंदगी और कुश्ती के मैदान पर लड़ाई जारी रखी और अब ‘खेलों के महाकुंभ’ में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत का नाम रोशन किया और आज अमन सहरावत की कहानी हर भारतीय को प्रेरित करेती है।