16 किमी लंबे दुर्गम गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर बेजुबान कारोबार को नई रफ्तार दे रहे हैं। इस वर्ष कपाट खुलने के बाद से अभी तक घोड़ा-खच्चर के संचालन से एक अरब, 12 करोड़ 43 लाख से अधिक का कारोबार हो चुका है।
इस दौरान 3,86,396 यात्री दोतरफा सवारी कर चुके हैं। यात्रा के लगभग 38 दिन शेष रह गए हैं, ऐसे में कारोबार और अधिक होने की उम्मीद है। घोड़ा-खच्चर को केदारनाथ यात्रा की रीढ़ कहा जाता है। पैदल मार्ग पर यात्रियों को ढोने वाले इन जानवरों से 25 हजार से अधिक परिवार जुड़े हैं।
इस वर्ष मार्च-अप्रैल में पशुपालन विभाग ने जिले में अलग-अलग स्थानों पर शिविर आयोजित कर 8,200 स्वस्थ घोड़ा-खच्चरों का पंजीकरण किया। जी-मैक्स कंपनी के प्रीपेड काउंटर के अनुसार, 10 मई से शुरू हुई केदारनाथ यात्रा में 23 सितंबर तक घोड़ा-खच्चरों से 2,61,812 यात्री गौरीकुंड से केदारनाथ पहुंच चुके हैं।
इससे 83 करोड़, 77 लाख, 98 हजार 400 रुपये का कारोबार हुआ है। केदारनाथ धाम में बाबा केदार के दर्शन के बाद अभी तक 1,24,584 यात्री घोड़ा-खच्चर से वापस गौरीकुंड आ चुके हैं। इससे 28 करोड़, 65 लाख 43 हजार 200 रुपये की धनराशि अर्जित हो चुकी है। इस तरह एक अरब, 12 करोड़, 43 लाख, 41 हजार, 600 रुपये का कारोबार हो चुका है।
चिप से मिली मदद
पशुपालन विभाग ने इस बार केदारनाथ यात्रा में संचालित हो रहे घोड़ा-खच्चरों के गले की त्वचा पर आरएफआईडी चिप लगाई है। इस चिप को यूएचएफ से स्कैन करने पर घोड़ा-खच्चर के स्वास्थ्य सहित उसके स्वामी और संचालक के बारे में जानकारी मिल रही है। चिप की मदद से जहां इस बार घोड़ा-खच्चरों के बारे में सही जानकारी प्राप्त हुईं, वहीं यात्रियों के साथ घोड़ा-खच्चर संचालकों के अभद्र व्यवहार और ठगी के मामलों में भी काफी कमी दर्ज की गई।