तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर के कपाट आगामी चार नवंबर को बंद होंगे। इसी दिन भगवान तुंगनाथ की चल उत्सव विग्रह डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल के लिए प्रस्थान करते हुए रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी। पांच नवंबर को डोली चोपता से भनकुन गुफा पहुंचेंगी, जहां अगले दिन का विश्राम होगा।
इसके बाद सात नवंबर को डोली शीतकालीन गद्दीस्थल मर्कटेश्वर मंदिर मक्कूमठ पहुंचेगी। यहां पर विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना के बाद भगवान की भोगमूर्तियों को छह माह की शीतकालीन पूजा-अर्चना के लिए मर्कटेश्वर मंदिर के गर्भगृह में विराजमान कर दिया जाएगा। भगवान तुंगनाथ की डोली सात नवंबर को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर मर्कटेश्वर मंदिर में विराजमान होगी।
श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डॉ हरीश चंद्र गौड़ ने बताया कि तृतीय केदार तुंगनाथ की यात्रा इस वर्ष 10 मई को शुरू हुई थी। यहां अभी तक 1.20 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि तृतीय केदार के कपाट शीतकाल के लिए आगामी चार नवंबर को बंद कर दिए जाएंगे।
इस मंदिर में भगवान शिव के हृदय और भुजाओं की पूजा होती है. मान्यता है कि भगवान राम ने जब रावण का वध किया था तब स्वयं को ब्रह्माहत्या के शाप से मुक्त करने के लिए इस मंदिर में भोलेनाथ की पूजा की थी. पौराणिक कथा है कि महाभारत युद्ध में नरसंहार से शिवजी पांडवों से रुष्ट हो गए थे और इसके बाद पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यहां तपस्या की और फिर इस शिव मंदिर का निर्माण कराया था।