उत्तरांखड राज्य को बने हुए शनिवार 9 नवम्बर को 24 साल पूरे होने जा रहे हैं। कल उत्तराखंड 25वें साल में प्रवेश करेगा। लेकिन आज भी राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पटरी पर नहीं चढ़ सकी है। यहां आज भी स्वास्थ्य सुविधाओं से जूझते लोगों की कहानी सामने आती रहती है।
ऐसा ही हाल उत्तराखंड की स्थापना के बाद बने दूसरे मेडिकल कॉलेज का भी है। हम बात कर रहे हैं श्रीनगर गढ़वाल मेडिकल कॉलेज की। इसकी स्थापना के बाद से यहां पर डॉक्टरों का टोटा बना हुआ है। यहां न्यूरोसर्जरी, कार्डियोलॉजी, बर्न यूनिट जैसे महत्वपूर्ण विभाग बंद पड़े हैं। इनमें कई वर्षों से डॉक्टरों की तैनाती नहीं हो सकी है। इसके अलावा यहां जितने विभाग चल रहे हैं, वहाँ भी विभिन्न विभागों में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर 25 डॉक्टरों का टोटा अभी भी बना हुआ है। इसके चलते मरीजों को हायर सेंटर रेफर करना पड़ रहा है। ऐसा तब है, जब खुद स्वास्थ्य मंत्री श्रीनगर विधानसभा के विधायक भी हैं।
रेफरल सेंटर बन गया है श्रीनगर बेस अस्पताल: स्थानीय निवासी अंकित सिंह बताते हैं कि चारधाम यात्रा के पड़ाव में आने वाले श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में जब एक्ससिडेंटल केस आते हैं और उनमें हेड इंजरी होती है, तो न्यूरोसर्जन न होने के कारण मरीजों को बड़ी संख्या में रेफर किया जाता है। साथ ही हार्ट अटैक पड़ने पर भी मरीजों को मेडिकल कॉलेज से दूसरे अस्पताल भेज दिया जाता है।