छीड़ाखान-अधौड़ा मोटर मार्ग पर जहां कैंपर वाहन के नीचे गिरने से 10 लोगों की मौत हुई थी, वहां सालभर बाद भी मौत की खाई बनी हुई है। हादसे का कारण सड़क की बदहाल हालत और ओवरलोडिंग मानी गई थी। इसलिए शासन ने सड़क सुधारने के लिए 19 करोड़ रुपये भी जारी कर दिए थे। इसके बावजूद पीएमजीएसवाई और लोक निर्माण विभाग में खींचतान के कारण अब तक कुछ नहीं हो सका है।
इस ब्लैक स्पॉट पर 19 नवंबर को यही एक हादसा नहीं हुआ था, बल्कि तीन साल पहले भी मोरा के पास सड़क हादसे में छह लोगों की जान चली गई थी। पिछले साल हुई दुर्घटना के बाद इस जगह का सुधारीकरण होना था। डामरीकरण के साथ वहां पैरापिट और क्रैश बैरियर का काम होना था। यह तो हुआ नहीं, बल्कि हालत और खराब हो गई। इस बार आपदा से सड़क और बदहाल हो चुकी है। सच्चाई यह है कि सड़क नाम की चीज बची ही नहीं है। हल्द्वानी, पतलोट, खनस्यूं और चंपावत जिले को आवाजाही करने वाले वाहन चालकों और यात्रियों को जान खतरे में डालकर इस मार्ग से गुजरना पड़ता है।
पिछले साल हादसे के बाद सरकार, सांसद, विधायक और जिला प्रशासन ने बदहाल सड़क पर डामरीकरण के साथ सुधारीकरण की बात कही थी। इसके लिए पीएमजीएसवाई (प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना) को 19 करोड़ रुपये जारी भी कर दिए गए थे। पीएमजीएसवाई के अफसर सड़क उसके अधीन न होने की बात कहकर मरम्मत नहीं करा रहे हैं। उनका कहना है कि अभी लोक निर्माण विभाग ने उसे यह सड़क हैंडओवर नहीं की है। वहीं लोनिवि अफसरों का कहना है कि हैंडओवर करने के लिए हमें कोई पत्र मिला ही नहीं है। रकम पीएमजीएसवाई पर है तो वह ही काम कराए। यदि शासन को मामला भेजकर स्थिति बता दी गई होती तो शायद कुछ तय हो गया होता और अब तक सड़क बन चुकी होती।
दो के बजाय एक-एक लाख ही मुआवजा दिया
ओखलकांडा ब्लॉक के ग्राम प्रधान और संगठन अध्यक्ष निर्मल मटियाली ने बताया कि वह हर बीडीसी बैठक में यह मामला रखते आ रहे हैं, मगर विभागों पर कोई असर नहीं पड़ा। यही नहीं, पतलोट-ल्वाड़ डोबा-गौनियारों, अमजड़ मोटर मार्ग और कुंडल-भोलापुर मोटर मार्ग भी बदहाल हालत में है। तीन साल पहले हुए हादसे में महेश सिंह की पत्नी हेमा देवी और उनके दो बच्चों की भी मौत हुई थी। महेश को प्रशासन की ओर से मुआवजे के तौर पर कुल तीन लाख ही दिए गए हैं, जबकि घोषणा दो-दो लाख रुपये की हुई थी। महेश ने अधिकारियों से शिकायत की, मगर सुनवाई नहीं हुई है।