कौलागढ़ जाते हुए मैं चौराहा लगभग पार कर चुका था…। तभी कंटेनर में जोर का झटका लगा…और मैं गाड़ी स्टार्ट छोड़ नीचे उतर गया। पीछे देखा तो लाशें बिखरी हुई थीं…। इनोवा का एक हिस्सा मेरी गाड़ी से चिपका हुआ था….। दूर पेड़ के पास इन्नोवा बिल्कुल खत्म पड़ी थी।
बड़ी गाड़ी मेरी थी मैं ही फसूंगा यह सोचकर घबरा गया था साहब… और नंबर प्लेट उखाड़कर वहां से भाग गया। हादसे के बाद के इस वाकये को चालक ने पुलिस के सामने बताया। फिलहाल पुलिस उससे और भी पूछताछ कर रही है। दरअसल, हादसे के बाद से कंटेनर के कुछ रहस्य अनसुलझे थे। कंटेनर का मालिक कौन है यह बात को पुलिस ने अगले ही दिन पता कर ली थी।
आगे किसे बेचा इसकी तस्दीक भी गुरुग्राम जाकर हो गयी। लेकिन, ये वास्तव में कहां से कहां चलता था इसकी जानकारी चालक ने पकड़े जाने के बाद ही दी। उस रात घटनास्थल पर मौजूद कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने चालक को एफआरआई की ओर भागते हुए भी देखा था। ऐसे में पुलिस उसकी मैन्युअली तलाश कर रही थी। चालक का नाम पता मिलने पर उसके घर दबिश दी गई लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला। नंबर बंद था तो लोकेशन का भी पता नहीं चल पा रहा था।
ऐसे में पुलिस ने आखिरकार चालक रामकुमार को सहारनपुर से गिरफ्तार कर लिया। चालक ने पकड़े जाने के बाद सारी कहानी पुलिस को बताई।
आमतौर पर जिस तरह से हादसों में कार्रवाई होती है उसे सोचकर ही चालक बेहद घबरा गया था। कंटेनर के पीछे का दृश्य हर किसी को विचलित कर देने वाला था। ऐसे में उसकी घबराहट भी लाजिमी है। उसने पुलिस को सूचना नहीं दी और नंबर प्लेट लेकर भागा यानी साक्ष्य छुपाना फिलहाल यही उसकी दो गलतियां नजर आ रही हैं। इन्हीं की पुलिस पड़ताल कर रही है।
इस कंटेनर की हालत बेहद खराब है। आगे के शीशे टूटे हुए हैं। न इंडीगेटर है न रिफ्लेक्टर। इससे साफ है कि यह फिट तो बिल्कुल नहीं है। ऐसी हालत में फिटनेस सर्टिफिकेट बन भी नहीं सकता। ऐसे में सवाल अब भी कायम है कि इस हालत में यह कंटेनर शहर की सड़कों पर कैसे दौड़ रहा था। जबकि, जिम्मेदार परिवहन विभाग भी कई नाकों पर वाणिज्यिक वाहनों की चेकिंग का दावा करता है।
पता चला है कि यह कंटेनर अक्तूबर माह में ही सहारनपुर से ट्रांसपोर्ट नगर आया था। ऐसे में आरटीओ चेकपोस्ट पर भी इसे बॉर्डर पर नहीं रोका गया। इसके अलावा कभीकभार ही सही मशीन पहुंचाने के लिए यह शहर में भी चक्कर लगाता था। बावजूद इसके इसे कहीं रोककर पूछताछ नहीं की गई।