
उत्तरकाशी के स्यानाचट्टी में बनी अस्थाई झील के मुहाने के खुलने के बाद पानी का जलस्तर तेजी से कम हो गया है। यह राहत की खबर शासन-प्रशासन और स्थानीय जनता के लिए एक बड़ी राहत लेकर आई है। यमुनोत्री धाम और आसपास के क्षेत्रों में हुई अतिवृष्टि के कारण यमुना नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया था, जिससे स्यानाचट्टी और आसपास के मार्गों में भारी जलभराव और यातायात बाधा उत्पन्न हो गई थी।
जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने शनिवार को स्यानाचट्टी और यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने मार्ग पर भूधंसाव और भूस्खलन के प्रति संवेदनशील स्थानों का जायजा लिया और संबंधित विभागों को सभी आवश्यक इंतजाम सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। जंगल चट्टी में मार्ग का लगभग 200 मीटर हिस्सा क्षतिग्रस्त होने की जानकारी मिलने पर जिलाधिकारी ने मौके पर पहुंचकर मरम्मत और मलबा हटाने के कार्यों की निगरानी की।
क्षतिग्रस्त मार्ग की मरम्मत और आवाजाही सुचारू करने के लिए मौके पर पोकलेन और जेसीबी मशीनें तैनात की गई हैं। जिलाधिकारी ने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर मशीनों और श्रमिकों की संख्या बढ़ाई जाएगी ताकि मार्ग जल्द से जल्द खोला जा सके। ईई मनोज रावत ने बताया कि कम से कम दो दिन बाद यहाँ वाहनों की आवाजाही शुरू होने की संभावना है।
स्यानाचट्टी में बनी अस्थाई झील के खुलने से अब क्षेत्र में आवाजाही सुचारू हो गई है। यमुनोत्री राजमार्ग के चिन्हित स्थानों पर प्रशासन ने पर्याप्त संख्या में जेसीबी और पोकलेन मशीनें रखी हैं, जो लगातार कार्यरत हैं। जनपद में अवरूद्ध मार्गों को बहाल करने के लिए प्रशासन की सभी टीमें पूरी प्रतिबद्धता से कार्य कर रही हैं।
इसके साथ ही प्रशासन ने सुरक्षा उपायों और निगरानी बढ़ा दी है ताकि जलस्तर में अचानक वृद्धि या अन्य आपदा के समय लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। जिलाधिकारी ने स्थानीय लोगों से भी सतर्क रहने और प्रशासन के निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया। इस प्रयास से न केवल यातायात सुचारू हुआ है, बल्कि आपदा के दौरान फंसे लोगों को राहत देने और पुनर्वास कार्यों में भी तेजी आई है। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि आपदा प्रभावित मार्गों और क्षेत्रों की मरम्मत तथा निगरानी लगातार जारी रहेगी, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से न्यूनतम नुकसान हो।