
उत्तरकाशी जिले में पांच अगस्त को आई भयंकर आपदा से प्रभावित गांवों में हालात अभी तक पूरी तरह सामान्य नहीं हुए हैं। धराली आपदा के बाद सीमांत क्षेत्र के आठ गांव – सुक्की, धराली, मुखबा, हर्षिल, जसपुर, पुराली, झाला और बगोरी – के ग्रामीणों को अब रसद और रसोई गैस की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। गंगोत्री हाईवे बड़े वाहनों के लिए बंद होने के कारण आपदाग्रस्त क्षेत्र में आवश्यक सामग्री समय पर नहीं पहुँच पा रही है।
हर्षिल के पूर्व प्रधान दिनेश रावत ने बताया कि प्रशासन द्वारा प्रदान की गई रसद पर्याप्त नहीं है और बड़े परिवारों के लिए यह लंबे समय तक पर्याप्त नहीं हो पा रही। वहीं, बीते रविवार रात को तेलगाड में जलस्तर बढ़ने से हर्षिल के ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा। आपदा प्रभावित गांवों में बिजली आपूर्ति गत रविवार रात से ठप है, और सोमवार सुबह से संचार सेवाएं भी बाधित हो गई हैं। इसका सीधा असर ग्रामीणों पर पड़ा है, जो अपने नाते-रिश्तेदारों से संपर्क नहीं कर पा रहे।
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी शार्दुल गुसाईं ने बताया कि नलूणा के पास गंगोत्री हाईवे पर भारी भूस्खलन से बिजली और संचार लाइनें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। लगातार भूस्खलन जारी रहने के कारण मरम्मत कार्य में कठिनाइयां आ रही हैं। जैसे ही भूस्खलन रुकता है, सीमांत क्षेत्र के गांवों में बिजली और संचार सेवाओं को बहाल किया जाएगा।
अधिकारियों ने ग्रामीणों से सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों पर रहने का आग्रह किया है। प्रशासन लगातार प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य कर रहा है, लेकिन मौसम की स्थिति और हाईवे बंद होने के कारण आपूर्ति में विलंब हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि स्थिति में जल्द सुधार होना आवश्यक है, अन्यथा उनका जीवन और मुश्किलों में फंस सकता है। स्थिति अभी भी संवेदनशील बनी हुई है, और प्रशासन ने लोगों की सुरक्षा और राहत वितरण को प्राथमिकता बनाकर काम जारी रखा है।