जीवन की जंग हार गया कुंदन, सब कहते रहे हम हैं साथ,फिर भी नहीं बच सकी जान

July 1, 2024 | samvaad365

बिनसर अभयारण्य में वनाग्नि की भीषण घटना के बाद शासन से लेकर जिला स्तर पर अधिकारी और जनप्रतिनिधि सभी प्रभावितों के साथ खड़े रहने की बात करते रहे। दिल्ली एम्स में घायलों के बेहतर उपचार के दावे भी खूब हुए। फिर भी पीआरडी जवान कुंदन की जान नहीं बचाई जा सकी। चिकित्सक उसका जीवन बचाने के लिए दिन-रात मेहनत करते रहे लेकिन 18 दिन के संघर्ष के बाद वह जीवन की जंग हार गया। उसकी मौत से उसके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटा है तो एक के बाद एक हो रही घायल वन कर्मियों की मौत से सिस्टम पर भी सवाल उठ रहे हैं।

घर लौटने का इंतजार कर रहे थे पत्नी, बेटा और बेटी
ग्रामीणों ने बताया कि कुंदन अप्रैल में एक-दो दिन के लिए घर लौटा था तो तभी पत्नी, बेटे और बेटी से मुलाकात हुई। फायर सीजन में जिले में धधक रहे जंगलों को देखते हुए अवकाश बंद हो गए तो वह ड्यूटी पर बिनसर लौटा। कुंदन और उसके परिजनों को यह मालूम नहीं था कि उनकी यह अंतिम मुलाकात होगी और फिर वह कभी अपने परिजनों का चेहरा नहीं देखा सकेगा। परिजन उनके घर लौटने के लिए फायर सीजन खत्म होने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन उन्हें यह मालूम नहीं था कि उनके कार्यस्थल में एक भयानक घटना उनका इंतजार कर रही है।

मानदेय का इंतजार करते सो गया गहरी नींद
पीआरडी जवानों को नए वित्तीय वर्ष से अब तक मानदेय नहीं मिला है, कुंदन भी इन्हीं में शामिल था। तीन महीने से मानदेय नहीं मिलने से पत्नी उधारी में घर चलाकर तीन बच्चों का पालन कर रही थी। कुंदन भी मानदेय मिलने का इंतजार करते हुए अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहा था। उसे मानदेय तो नहीं मिल सका लेकिन इसका इंतजार करते हुए वह गहरी नींद सो गया।

गंगा को देर शाम मिली पति की मौत की खबर
दिल्ली के एम्स में रविवार सुबह कुंदन की मौत हो गई थी। उसकी मौत की खबर वन विभाग और ग्रामीणों को मिली लेकिन कोई भी उसकी पत्नी और बच्चों को यह बात बताने की हिम्मत नहीं जुटा सका। पति की कुशलता की उम्मीद में पत्नी गंगा पूरे दिन खुद को हौसला देते हुए काम में जुटी रही। देर शाम जब उसे पति की मौत की खबर मिली तो वह बदहवास हो गई। पिता की मौत से बेटे और बेटी का भी रो-रोकर बुरा हाल है।

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