कुमाऊं मंडल के नैनीताल व ऊधम सिंह नगर जिले में साढ़े चार हजार शुतुरमुर्ग हैं। ऐसा हम नहीं, बल्कि पशुपालन विभाग की 20वीं पशुगणना के दौरान दर्ज किए गए आंकड़े कह रहे हैं। हालांकि, दोनों जिलों में शुतुरमुर्ग के होने की बात अब पशुपालन विभाग के अधिकारियों को भी नहीं पच रही है।
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इन दो जिलों में कभी शुतुरमुर्ग थे ही नहीं। भारत सरकार के निर्देशों पर वर्ष 2019 में एक साथ देशभर में 20वीं पशुगणना की गई थी। इस दौरान ऊधम सिंह नगर व नैनीताल जिले में कुल 4586 शुतुरमुर्ग दिखा दिए गए।
इनमें यूएस नगर में बैकयार्ड व अन्य कुक्कुट के कालम में 4427 व व्यावसायिक में 150 शुतुरमुर्ग दिखाए गए हैं, जबकि नैनीताल जिले में नौ शुतुरमुर्ग बताए गए हैं, मगर हकीकत इससे अलग है। इन दो जिलों में शुतुरमुर्गों का अता-पता ही नहीं है।
20वीं पशुगणना हुए पांच साल गुजर गए
विभाग के अधिकारियों का भी यही कहना है कि इन दो जिलों में कोई भी शुतुरमुर्ग नहीं हैं। उनका कहना है कि शायद उस दौरान पशु गणना में गलत एंट्री कर दी गई होगी। अब 20वीं पशुगणना हुए पांच साल गुजर गए हैं, लेकिन अभी तक पशुपालन विभाग ने आंकड़ों में संशोधन नहीं किया है।
दोनों जिलों में 159 लोगों ने की थी पशु गणना
नैनीताल जिले में 69 तो यूएस नगर में 90 गणनाकारों ने पशु-पक्षियों की गणना की थी। इन गणनाकारों को शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक परिवारों में जाकर कुत्ते, घोड़े, खच्चर, गाय-भैंस, गधे, ऊंट, खरगोश, याक, मुर्गे-मुर्गी, चूजे, बतख, टर्की, बटेर, ईमू, शुतुरमुर्ग, गीस आदि प्रजातियों के पशु-पक्षियों की गणना करनी होती है। इसके लिए पशुपालन विभाग इन्हें मानदेय भी देता है। इस बार भी 21वीं पशुगणना के दौरान दोनों जिलों में करीब इतने ही गणनाकारों की मांग की गई है।