
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर लगी रोक को हटा दिया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को तीन सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, राज्य चुनाव आयोग को तय कार्यक्रम के अनुरूप चुनाव प्रक्रिया आगे बढ़ाने को कहा गया है। यह निर्णय बागेश्वर निवासी याचिकाकर्ता गणेश दत्त कांडपाल की याचिका पर सुनवाई के बाद आया। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शोभित सहारिया ने पैरवी की।
सुनवाई के दौरान अदालत ने पंचायत चुनावों में आरक्षण के तरीके पर आपत्ति जताने वाली लगभग 40 याचिकाओं को एकसाथ जोड़कर सुना। इनमें हर्ष प्रीतम सिंह, गंभीर सिंह चौहान, कवींद्र इष्टवाल, रामेश्वर, मोहम्मद सुहेल, सोबेन्द्र सिंह पड़ियार, प्रेम सिंह, विक्कार सिंह बाहेर, धर्मेंद्र सिंह और पंकज कुमार सहित अन्य याचिकाएं शामिल थीं।
आरक्षण को लेकर हुई बहस
एक याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य सिंह ने डोईवाला विधानसभा क्षेत्र में ग्राम पंचायत आरक्षण की व्यवस्था पर सवाल उठाए। उन्होंने दावा किया कि संबंधित क्षेत्र में 63 प्रतिशत सीटें आरक्षित कर दी गई हैं, जो सामान्य वर्ग के हितों के खिलाफ है। हालाँकि, कोर्ट ने उनकी दलील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह “सामान्य महिला” श्रेणी को भी आरक्षित मानकर प्रस्तुत कर रहे हैं, जबकि महिलाओं के लिए 33% आरक्षण अलग से है और वह सभी वर्गों में वर्गवार लागू होता है।
न्यायालय का स्पष्ट निर्देश
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अनिल कुमार जोशी, योगेश पचौलिया, जितेंद्र चौधरी और शक्ति सिंह ने भी कोर्ट में अपने पक्ष रखे। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि सभी याचिकाओं की सुनवाई मेरिट के आधार पर की जाएगी।
फैसले में कोर्ट ने चुनावों पर 23 जून तक लागू अंतरिम रोक को समाप्त कर दिया और राज्य चुनाव आयोग को निर्देशित किया कि वह अपनी घोषित समयसारणी के अनुसार चुनाव प्रक्रिया आगे बढ़ाए।