देहरादून में यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले को लेकर युवाओं का गुस्सा लगातार उफान पर है। परेड ग्राउंड में दिन-रात धरना दे रहे बेरोजगार युवाओं ने सरकार के कदम को ‘मीठी टॉफी’ करार देते हुए सीबीआई जांच और परीक्षा रद्द करने की मांग दोहराई है।
धरना बीते सोमवार को शुरू हुआ था, जब बेरोजगार संघ और छात्र संगठनों ने सीएम आवास की ओर कूच करने की कोशिश की थी। पुलिस ने कानून-व्यवस्था का हवाला देकर युवाओं को रोक लिया और उन्हें परेड ग्राउंड पर ही धरना देने की अनुमति दी। तब से युवा वहीं डटे हुए हैं। मंगलवार को युवाओं का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से वार्ता के लिए गया था, लेकिन बैठक बेनतीजा रही। युवाओं ने साफ कर दिया कि बिना परीक्षा कैंसिल किए और सीबीआई जांच के आदेश दिए वे आंदोलन खत्म नहीं करेंगे।
धरने में शामिल युवाओं का कहना है कि सरकार सिर्फ दिखावटी कदम उठा रही है। जांच एसआईटी को सौंपना या कुछ अधिकारियों-कर्मचारियों को निलंबित करना पर्याप्त नहीं है। असली दोषियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। उनका आरोप है कि पेपर लीक का खेल वर्षों से चल रहा है और हर बार बेरोजगार युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ किया जाता है।
धरना स्थल पर युवाओं को उनके नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी संबोधित किया। उन्होंने सरकार पर दबाव बनाए रखने के लिए आंदोलन को और व्यापक स्तर पर ले जाने का आह्वान किया। कई छात्र संगठनों ने ऐलान किया कि यदि जल्द उनकी मांगों पर सुनवाई नहीं हुई तो राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा।
इधर, प्रशासन और पुलिस धरने पर करीबी नजर बनाए हुए हैं। सुरक्षा व्यवस्था के लिए अतिरिक्त फोर्स तैनात की गई है।
गौरतलब है कि 21 सितंबर को हुई स्नातक स्तरीय परीक्षा के दौरान 35 मिनट के भीतर ही प्रश्नपत्र के पन्ने सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे। इस घटना के बाद से राज्यभर में आक्रोश है। अब तक दो लोगों की गिरफ्तारी और कई अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है। लेकिन बेरोजगार युवाओं का मानना है कि जब तक सीबीआई जांच नहीं होती और परीक्षा रद्द कर नई तिथि घोषित नहीं की जाती, उनका धरना जारी रहेगा।
