नगर पालिका परिषद रामनगर की बात करें तो यहां पर भाजपा का प्रत्याशी आज अध्यक्ष नहीं बन पाया है। भाजपा की ओर से भरसक प्रयास किए गए, लेकिन पार्टी हर बार पालिका के ताज पर बैठने में नाकाम रही है। पिछले 35 वर्षों की बात करें तो यहां पर चार बार निर्दलीय और तीन बार कांग्रेस ने परचम लहराया है। वर्ष 1957 में रामनगर नगर पालिका की स्थापना हुई थी।
स्थापना के बाद चुने हुए सभासद अध्यक्ष पद पर वोट कर अध्यक्ष चुनते थे। इसी प्रक्रिया से पहले अध्यक्ष प्रेम बल्लभ बेलवाल, उनके बाद 1962 रेवादत्त पड़लिया, 1967 प्यारेलाल गलबलिया और वर्ष 1972 में रामकुमार गलबलिया पालिकाध्यक्ष बने। वर्ष 1974 में रामकुमार गलबलिया के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने के बाद देवीदत्त छिम्वाल अध्यक्ष बने। ये सभी अध्यक्ष कांग्रेस से जुड़े रहे। वहीं, वर्ष 1977 से 1988 तक 11 साल प्रशासक कार्यकाल चला। संवाद अध्यक्ष पद हुए चुनाव तो जीते निर्दलीय उम्मीदवार वर्ष 1989 में पहली बार आम मतदाताओं से अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ। वर्ष 1989 में हुए चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार रहे मोहम्मद अकरम चुनाव जीते और अध्यक्ष बने। वर्ष 1994 से 1977 तक एक बार फिर प्रशासक कार्यकाल रहा।
वर्ष 1997 में निर्दलीय उम्मीदवार रहे भगीरथ लाल चौधरी चुनाव जीते। वर्ष 2003 में ओबीसी महिला सीट होने पर निर्दलीय भगीरथ लाल चौधरी की पत्नी उर्मिला चौधरी चुनाव जीतीं। वर्ष 2008 में एक बार फिर निर्दलीय रहे मोहम्मद अकरम ने चुनाव जीता। इसके बाद वर्ष 2013 में वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते और 2018 में भी मो. अकरम कांग्रेस के टिकट से लगातार अध्यक्ष बने रहे।
रामनगर नगर पालिका: 35 वर्षों से भाजपा खत्म नहीं कर पाई सूखा
रामनगर नगर पालिका में अध्यक्ष पद का चुनाव जीतने के लिए भाजपा की ओर से भरसक प्रयास किया गया, लेकिन हर भाजपा को मुंह की खानी पड़ी और वर्ष 1989 से 2024 तक इन 35 वर्षों में भाजपा इस सीट पर कब्जा नहीं जमा पाई। भाजपा की ओर से वर्ष 2013 में भगीरथ लाल चौधरी लड़े, लेकिन हार गए। वर्ष 2018 में ओबीसी सीट होने पर रुचि गिरि को चुनाव मैदान उतारा गया था, लेकिन 8500 वोट पाकर वह भी दूसरे स्थान पर ही रहीं। इस बार सामान्य सीट हो गई है और सभी दावेदार अपनी-अपनी दावेदारी कर रहे है। अब देखना होगा कि भाजपा किस प्रत्याशी पर अपना दाव खेलती है।