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आदिबदरी मंदिर के कपाट 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। इस अवसर पर आदिबदरी मंदिर परिसर के साथ ही नगर के सभी मंदिरों और बाजार को भव्य रूप से फूलों से सजाया गया है। आदिबदरी मंदिर के कपाट ब्रह्ममुहूर्त में सुबह चार बजे खुलेंगे। जबकि श्रद्धालु सुबह छह बजे से दर्शन कर सकेंगे।
चार बजे खुलेंगे कपाट
मंदिर के मुख्य पुजारी चक्रधर थपलियाल ने बताया कि कपाट ब्रह्ममुहूर्त में सुबह चार बजे खुलेंगे। जबकि श्रद्धालु सुबह छह बजे से दर्शन कर सकेंगे। भगवान आदिबदरी नाथ मंदिर के कपाट वर्ष में एक माह (पौष)के लिए बंद होते हैं। कपाटोद्घाटन के लिए मंदिर समूह सहित पूरे बाजार को भब्य रूप से सजाया गया है।
भगवान विष्णु का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है आदिबद्री:
आदिबद्री मंदिर भगवान नारायण को समर्पित है, जो भगवान विष्णु के एक अवतार हैं। परिसर के भीतर मुख्य मंदिर में भगवान नारायण की एक पूज्यनीय काले पत्थर की मूर्ति है। आदिबद्री को भगवान विष्णु का सबसे पहला निवास स्थान माना जाता है। बद्रीनाथ से पहले आदिबद्री की ही पूजा की जाती है. किंवदंतियों के अनुसार भगवान विष्णु कलियुग में बदरीनाथ जाने से पहले सतयुग, त्रेता और द्वापर युगों के दौरान आदिबद्री में निवास करते थे।
बिना आदिबद्री के दर्शन किए पूरी नहीं मानी जाती बदरीनाथ की यात्रा:
मान्यता के अनुसार बदरीनाथ धाम के दर्शन करने से पहले आदिबद्री के दर्शन करने जरूरी होते हैं, तभी बदरीनाथ की यात्रा सफल होती है। माना जाता है कि आदि गुरु शंकराचार्य ने इन मंदिरों के निर्माण का समर्थन किया था, जिसका उद्देश्य पूरे देश में हिंदू धर्म के सिद्धांतों का प्रसार करना था। किसी जमाने में आदिबद्री मंदिर 16 मंदिरों का समूह हुआ करता था, लेकिन अब यहां सिर्फ 14 मंदिर रह गए हैं।