उत्तराखंड में इन दिनों बारिश का दौर जारी है। बारिश के कारण नदी नाले उफान पर हैं। ऐसे समय में पुलों की अहमियत और भी बढ़ जाती है। मगर इन्हीं दिनों में उत्तराखंड के अलग अलग इलाकों से ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं, जहां लोगों को जान हथेली पर रखकर पुलों को पार करना पड़ रहा है। ऐसा ही मामला राजधानी देहरादून की डोईवाला विधानसभा सीट के सेबूवाला से सामने आया है।
डोईवाला विधानसभा क्षेत्र की पहाड़ी ग्राम पंचायत सिंधवाल गांव के सेबूवाला में पिछले साल बरसात में जाखन नदी पर बना पुल बह गया था। पुल के बहने से ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. स्कूली बच्चों को भी आने जाने में दिक्कत हो रही है। पुल निर्माण न होने से ग्रामीणों को रस्सी का सहारा लेना पड़ रहा है। जिसके चलते मानसून में जाखन नदी के तेज बहाव में ग्रामीण जान जोखिम में डालकर नदी पार कर कर रहे हैं। पुल को टूटे एक साल होने को है। इसके बाद भी आज तक इस क्षतिग्रस्त पुल की जिम्मेदार अधिकारियों ने सुध तक नहीं ली। जिसका खामियाजा स्थानीय ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है।
बता दें पिछले साल जाखन नदी में आए पानी के तेज बहाव से जलागम विभाग की ओर से बनाया गया करीब 12 मीटर लंबा सीसी पुल टूटकर नदी में गिर गया था। जिसके बाद से ग्रामीण इस पुल के निर्माण की मांग कर रहे हैं। वर्तमान तक ग्रामीण इस टूटे पुल से ही आवाजाही करने को मजबूर हैं। बरसात के दिनों में नदी के जलस्तर बढ़ने से ग्रामीणों की समस्या बढ़ जाती है।
सिंधवाल गांव के ग्राम प्रधान प्रदीप सिंधवाल ने बताया ग्रामीण पिछले एक वर्ष से इस समस्या से जूझ रहे हैं। कई बार विभागीय अधिकारियों को समस्या बताने के बाद भी इसका समाधान नहीं हो पाया। उन्होंने बताया इस गांव में 86 वर्षीय बैसाखी देवी के साथ ही मेहर सिंह, देवेंद्र सिंह, दीवान सिंह , दीपक सिंह, मदन सिंह, उर्मिला मनवाल आदि के परिवार रह रहे हैं। ये सभी पुल न होने के चलते अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार कर आवाजाही करने को मजबूर हैं।