
उत्तराखंड में प्रधानमंत्री पोषण योजना (पूर्ववर्ती मिड-डे मील) में तीन करोड़ रुपये के घोटाले की जांच शुरू हो गई है। शिक्षा विभाग ने इस गंभीर मामले को संज्ञान में लेते हुए अपर निदेशक गढ़वाल कंचन देवराड़ी की अध्यक्षता में दो सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है। समिति में शिक्षा विभाग के वित्त नियंत्रक हेमेंद्र गंगवार को भी शामिल किया गया है। जांच अधिकारियों को दो दिन के भीतर प्रारंभिक रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं।
शिक्षा महानिदेशक दीप्ति सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित जांच के निर्देश दिए। जांच समिति ने अपनी प्रक्रिया शुरू कर दी है और अब तक की पड़ताल में यह सामने आया है कि इस घोटाले में न केवल शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों बल्कि बैंक कर्मचारियों की भी संदिग्ध भूमिका हो सकती है।
अधिकारियों के मुताबिक, बिना बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत के इतनी बड़ी धनराशि का गबन संभव नहीं है। जांच में सामने आया है कि विभाग के खातों से करोड़ों रुपये निकाले गए, लेकिन संबंधित खातेधारकों या विभाग को कोई ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) तक प्राप्त नहीं हुआ। इससे यह आशंका गहराई है कि किसी अंदरूनी साठगांठ के तहत यह रकम निकाली गई।
जांच समिति अब उन सभी वित्तीय लेनदेन की जांच कर रही है, जिनमें अनियमितता की आशंका है। प्राथमिक रूप से समिति ने बैंक खातों, निकासी विवरण और संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी के बिंदुओं पर फोकस किया है। इस पूरे प्रकरण में कुछ ठेकेदारों की भूमिका भी शक के घेरे में है, जिनके खातों में पैसा स्थानांतरित होने की जानकारी सामने आई है।
शिक्षा विभाग का कहना है कि दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार भी इस मामले पर नजर बनाए हुए है। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए जांच प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता से अंजाम देने का दावा किया गया है।