उत्तराखंड कैडर की आईपीएस अधिकारी रचिता जुयाल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। उन्होंने कुछ महीने पहले निजी और पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) की अर्जी लगाई थी। शुक्रवार को सरकार ने उनके इस्तीफे को मंजूरी दे दी।
रचिता जुयाल 2015 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं। वर्तमान में वे सतर्कता विभाग में पुलिस अधीक्षक (एसपी) पद पर कार्यरत थीं। अपने करियर के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए सेवा दी। वे राज्यपाल की एडीसी (एड-डी-कैंप) के रूप में कार्य कर चुकी हैं। इसके अलावा उन्हें इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का भी अनुभव रहा है। उनकी गिनती उन अधिकारियों में होती है जिन्होंने हमेशा जिम्मेदारी और ईमानदारी से अपनी ड्यूटी निभाई।
रचिता जुयाल के वीआरएस की खबरें पहले से ही सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई थीं। अचानक उनके इस्तीफे को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं। आधिकारिक रूप से उन्होंने निजी और पारिवारिक कारणों को इस्तीफे की वजह बताया है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि निजी क्षेत्र में बेहतर संभावनाओं और अवसरों को देखते हुए उन्होंने सरकारी सेवा छोड़ने का निर्णय लिया है।
उत्तराखंड में बतौर आईपीएस अधिकारी रचिता जुयाल ने पुलिसिंग और प्रशासनिक कामकाज में अपनी अलग पहचान बनाई। उन्हें सख्त और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के रूप में जाना जाता रहा है। उनके नेतृत्व में कई अहम फैसले और कार्रवाई हुईं। सतर्कता विभाग में रहते हुए उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ भी सक्रियता दिखाई।
आईपीएस रचिता जुयाल के इस्तीफे को लेकर पुलिस महकमे के भीतर और बाहर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कई लोग इसे एक बड़ी क्षति मान रहे हैं, वहीं कुछ का कहना है कि निजी कारणों से लिया गया उनका यह फैसला उनके निजी जीवन और भविष्य की योजनाओं के लिए अहम साबित होगा।
सरकार की मंजूरी के बाद अब वे पुलिस सेवा से मुक्त हो गई हैं। रचिता जुयाल का नाम उन अधिकारियों में शुमार होता है, जिन्होंने अपेक्षाकृत कम समय में अपने काम से पहचान बनाई। उनके इस्तीफे के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे निजी क्षेत्र में किस नई भूमिका में नजर आती हैं।
