
उत्तराखंड में महिला सशक्तीकरण और “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसे अभियानों को बड़ी कामयाबी मिल रही है। केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत राज्य में दो बेटियों के जन्म को लेकर उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की गई है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 69,000 से अधिक परिवारों में दो बेटियों का जन्म हुआ, जो योजना के उद्देश्यों के अनुरूप एक सकारात्मक संकेत है।
योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को पहली बेटी के जन्म पर दो किश्तों में ₹5000 और दूसरी संतान भी बेटी होने पर एकमुश्त ₹6000 की सहायता राशि दी जाती है। ये राशि सीधे लाभार्थी महिलाओं के बैंक खातों में भेजी जाती है।
जिलावार प्रदर्शन
राज्य के कई जिलों ने निर्धारित लक्ष्य से भी बेहतर प्रदर्शन किया है। पौड़ी गढ़वाल ने दोनों श्रेणियों में अपना लक्ष्य पार किया। पहली बालिका के पंजीकरण के लिए जहां 1790 का लक्ष्य था, वहां 1926 पंजीकरण हुए। वहीं दूसरी बालिका के लिए 596 के लक्ष्य के मुकाबले 607 पंजीकरण हुए, जिससे पौड़ी की सफलता दर 106 फीसदी रही।
ऊधम सिंह नगर, देहरादून और बागेश्वर जैसे जिलों ने भी 100 फीसदी से अधिक लक्ष्य प्राप्त कर योजना की सफलता में योगदान दिया। अन्य जिलों में रुद्रप्रयाग (98%), चमोली (88%), नैनीताल (84%) और चंपावत (76%) ने भी संतोषजनक प्रदर्शन किया है।
पिछड़े जिले
कुछ जिलों का प्रदर्शन चिंता का विषय बना हुआ है। पिथौरागढ़ में केवल 45 फीसदी, हरिद्वार में 73 फीसदी, और टिहरी गढ़वाल में 75 फीसदी पंजीकरण ही दर्ज किए जा सके हैं।