
कोरोना काल में बेसहारा हुए करीब एक हजार बच्चों को 21 वर्ष की आयु पूरी होने के आधार पर मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना से बाहर कर दिया गया है। लेकिन विभाग उनके कॅरिअर सहायता के लिए नजर बनाए हुए हैं। वयस्क हो चुके लाभार्थियों के लिए सत्यापन कार्यक्रम चलाया जा रहा है, ताकि उनकी जानकारी विभाग के पास अपडेट रहे।
इन बच्चों को योजना के तहत 21 साल की आयु तक प्रतिमाह तीन हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। साथ ही उनके खाने-पीने, शिक्षा आदि की जिम्मेदारी भी सरकार उठाती है। विभाग का कहना है कि जो युवा योजना से बाहर हो चुके हैं, लेकिन उन्हें अन्य योजनाओं के लाभ पहुंचाने की कोशिश जारी है। बीते वित्तीय वर्ष में मौजूदा लाभार्थियों को 4.96 करोड़ से अधिक रकम जारी की गई है।
वात्सल्य योजना के लाभ से बड़ी संख्या में बच्चे लाभान्वित हुए
महिला एवं बाल कल्याण विभाग में उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारी अंजना गुप्ता ने बताया कि योजना की शुरुआत में 6544 लाभार्थी थे, जो अब 5487 रह गए हैं। योजना से बाहर होने वाले बच्चों का सत्यापन विभाग की ओर से कराया जा रहा है। सुखद यह है कि उनमें कुछ लड़कियों की शादी हो गई है और अब वह एक खुशहाल परिवार का हिस्सा हैं। परिवीक्षा अधिकारी ने बताया कि योजना को विस्तार देने के लिए 200 से अधिक बेसहारा बच्चे, जिनके माता-पिता दोनों नहीं हैं, उन्हें कॅरिअर काउंसलिंग और अन्य सहायता दिलाने के लिए एक एनजीओ के साथ करार किया गया है।
महिला सशक्तिकरण विभाग के निदेशक प्रशांत आर्य ने बताया कि वात्सल्य योजना के लाभ से बड़ी संख्या में बच्चे लाभान्वित हुए हैं। यह योजना कोरोना काल में बेसहारा हुए बच्चों के लिए शुरू हुई थी, जैसे-जैसे बच्चे आयु सीमा पूरी कर रहे हैं, योजना से बाहर हो रहे हैं, हालांकि विभाग उनके सत्यापन और अन्य योजनाओं के जरिए उनकी मदद के लिए हमेशा तत्पर है।