निकाय चुनाव को लेकर 15 दिसंबर को आरक्षण को लेकर अधिसूचना तो जारी हो गई, लेकिन प्रमुख पद को लेकर आपत्तियों की सुनवाई के बाद 23 दिसंबर को स्थिति पूरी तरह साफ हो पाएगी, हल्द्वानी संग रुद्रपुर और पिथौरागढ़ नगर निगम को लेकर इस समय हलचल भाजपा में ही तेज है, पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार तीनों जगहों पर आरक्षण का मिजाज बदला गया है।
दूसरी तरफ कांग्रेस अभी वेट एंड वाच भूमिका में है, पार्टी के रणनीतिकार हल्द्वानी, रुद्रपुर और पिथौरागढ़ में भाजपा के वर्तमान या किसी पूर्व बड़े खिलाड़ी को अपनी टीम में शामिल कर चुनाव में उसे बड़ी भूमिका में सामने ला सकते हैं, कांग्रेस अभी खुलकर इसलिए अपने पत्ते नहीं खोल रही है क्योंकि, उसे आशंका है कि ऐसा करने पर आरक्षण का फार्मूला बदला तो उसकी रणनीति पर पानी फिर जाएगा।
हल्द्वानी की मेयर सीट को लेकर इस समय उत्तराखंड में सबसे ज्यादा चर्चा है, पहली बार ओबीसी के लिए इसे आरक्षित किया गया है, भाजपा ने व्यापारी नेता नवीन वर्मा को पार्टी में शामिल किया, इसके बाद पार्टी के पुराने नेता गजराज बिष्ट ने भी टिकट के लिए आवेदन कर दिया, रुद्रपुर सीट को इस बार अनारक्षित कर दिया गया है, इसके अलावा पिथौरागढ़ के पालिका से निगम में तब्दील होते ही इसे महिला आरक्षित कर दिया गया।
खास बात ये है कि हल्द्वानी संग रुद्रपुर और पिथौरागढ़ में भी कांग्रेस को 23 दिसंबर को आने वाली आरक्षण की अंतिम अधिसूचना का इंतजार है, रुद्रपुर में कभी भाजपा में रहा एक दिग्गज और जनाधार वाला चेहरा और पिथौरागढ़ में पार्टी के कई पदों में पहले काम कर चुकी महिला नेता के कदम पर भी कांग्रेस की नजर है।
चर्चा यहां तक है कि कांग्रेस की अलग-अलग टीमें इन तीनों जगहों पर इन तीनों नेताओं को पार्टी से जोड़ने के लिए एकदम तैयार बैठी है सिर्फ इस वजह से 23 दिसंबर का हो रहा है क्योंकि, इसके बाद आरक्षण के गणित को सरकार भी नहीं बदल पाएगी।