हल्द्वानी तहसील में एक बड़ा प्रशासनिक घोटाला सामने आया है। कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने कानूनगो असरफ अली के घर छापा मारकर तहसील से संबंधित 143 से अधिक फाइलें और मूल रजिस्टर बरामद किए। जांच में पता चला कि असरफ अली घर से ही तहसील का काम चला रहा था, जो गंभीर लापरवाही और भ्रष्टाचार का मामला है।
कमिश्नर दीपक रावत ने बुधवार को हल्द्वानी तहसील का निरीक्षण किया। उन्होंने तहसील में लंबित मामलों की फाइलें तलब कीं, लेकिन आधे घंटे तक कर्मचारियों ने उन्हें यह नहीं बता पाए कि कितने मामले लंबित हैं। काफी प्रयास के बाद चंद फाइलें प्रस्तुत की गईं, जिनमें कई खामियां पाई गईं। कुछ फाइलों में तारीख तक नहीं थी। इस पर नाराज कमिश्नर ने कानूनगो असरफ अली को तलब किया।
असरफ ने बताया कि उसने 143 फाइलें और रजिस्टर घर में रखे थे। कमिश्नर तुरंत बरेली रोड के उजाला नगर स्थित असरफ के आवास पहुंचे। वहां फाइलों का ढेर मिला और असरफ से पूछा गया कि उसने कितने मामलों का मौका मुआयना किया, तो उसने जवाब दिया कि एक भी नहीं। सरकारी दस्तावेजों को घर में रखने और फाइलों को दबाने की यह लापरवाही जांच के लिए डीएम को भेजी गई।
असरफ अली पहले भी विवाद में रह चुका है। वर्ष 2022 में वह सितारगंज में लेखपाल रहते हुए 15 हजार रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा गया था और विजिलेंस ने उसे जेल भेजा था। वर्तमान मामले में कमिश्नर ने आदेश दिया कि तहसील के पांच साल से लंबित मामलों को तीन महीने में निपटाया जाए। उन्होंने तहसीलदार मनीषा बिष्ट को प्रत्येक मामले की 14-14 दिन में समीक्षा करने के निर्देश भी दिए।
निरीक्षण के दौरान आयुक्त ने पाया कि हल्द्वानी तहसील में जनवरी से अब तक कुल 7000 प्रकरण दर्ज हैं, जिनमें से 1044 लंबित हैं। इस वर्ष अब तक 3.45 करोड़ रुपये की वसूली हो चुकी है और 4.99 करोड़ की वसूली शेष है। कमिश्नर ने लंबित मामलों के शीघ्र निस्तारण, फाइलों की अनुशासनहीनता की जांच, तहसील परिसर की सफाई, शौचालय, पार्किंग और सुरक्षा व्यवस्था का निरीक्षण करने के निर्देश दिए।
कमिश्नर ने बकायेदारों के नाम सूचना पट पर लिखने के बजाय मुख्य गेट पर बड़े बोर्ड पर लगाने का आदेश दिया, ताकि सभी को जानकारी मिल सके। इस कार्रवाई से यह स्पष्ट हुआ कि तहसील में आम जनता से जुड़ी व्यवस्थाओं की निगरानी और पारदर्शिता के लिए कड़ा कदम उठाया गया है।
