उत्तराखंड में आज से चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा 2025 का शुभारंभ हो गया है। शनिवार को पर्व की शुरुआत नहाय-खाय के साथ हुई, जिसके साथ ही व्रती 36 घंटे के निर्जला व्रत में लग गए। देहरादून में इस पर्व को लेकर जोर-शोर से तैयारियाँ की गई हैं। शहर के विभिन्न बाजार, जैसे झंडा बाजार, निरंजनपुर, सहारनपुर चौक, व अन्य क्षेत्रों में छठ पूजा के लिए आवश्यक सामग्री की खरीदारी खूब हुई। बांस की टोकरी, सूप और अन्य पूजन सामग्री की तैयारियाँ स्थानीय दुकानदारों के लिए बड़े व्यापार का अवसर भी बनी।
छठ पूजा के लिए देहरादून में 23 से अधिक घाटों पर पूजा आयोजित की जाएगी। प्रमुख घाटों में चंद्रबनी, टपकेश्वर, रायपुर, मालदेवता और प्रेमनगर शामिल हैं। घाटों की सजावट और व्यवस्था को अंतिम रूप देने का कार्य शुक्रवार को दिनभर जारी रहा। घाटों पर पूजा स्थल को साफ-सुथरा और आकर्षक बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की सजावट की गई है।
पहले दिन की नहाय-खाय की रस्म के अनुसार व्रती स्नान कर शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं। इस दिन से ही छठ का प्रसाद बनाने की तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं। पारंपरिक रीति अनुसार व्रती और उनके परिवारजन अलग बर्तन और चूल्हे का उपयोग करके प्रसाद तैयार करते हैं। इस दिन लहसुन, प्याज जैसी चीजें व्रती और उनके परिवारजन नहीं खाते।
छठ महापर्व में अगले तीन दिन भी विशेष अनुष्ठान होंगे। रविवार को खरना, सोमवार को संध्या अर्घ्य और मंगलवार को ऊषा अर्घ्य किया जाएगा। व्रती सूर्यदेव की पूजा कर परिवार और समाज में समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशहाली की कामना करते हैं।
इस मौके पर बिहारी महासभा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर 27 और 28 अक्टूबर को छठ पूजा के उपलक्ष्य में सार्वजनिक अवकाश की मांग की है। महासभा अध्यक्ष ललन सिंह और सचिव चंदन झा ने कहा कि छठ पूजा कठोर उपवास और अनुष्ठान का पर्व है और इसे उचित महत्व देते हुए अवकाश की घोषणा कई राज्यों में होती है।
पर्व को लेकर घाटों और बाजारों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जा रही है। व्रती और उनके परिवारजन सज-धज कर घाटों पर पहुंच रहे हैं। प्रशासन ने घाटों पर सुरक्षा और व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए अतिरिक्त पुलिस और कर्मचारियों की तैनाती की है।
