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उत्तराखंड विधानसभा का आगामी सत्र 18 फरवरी से शुरू होने जा रहा है। इस दौरान, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ई-नेवा की शुरुआत करेंगे, जो राज्य विधानसभा में तकनीकी सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने बताया कि पहली बार सत्र में राष्ट्रीय ई-विधान एप्लीकेशन (ई-नेवा) का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे सदन की कार्यवाही को तकनीकी रूप से बेहतर और पारदर्शी बनाने का प्रयास किया जाएगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सत्र पूर्ण रूप से पेपरलेस होना फिलहाल संभव नहीं है, लेकिन धीरे-धीरे पेपरलेस प्रणाली की ओर बढ़ाया जाएगा।
सदन में इस बार सभी विधायकों के बैठने के स्थान पर कंप्यूटर टैब लगाए गए हैं, जिनके माध्यम से सत्र के एजेंडे, सवालों और उनके जवाबों की जानकारी उपलब्ध होगी। हालांकि, अभी नियम 310 और 58 की सूचनाएं टैब पर उपलब्ध नहीं कराई जा सकती हैं। विस अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि सत्र के संचालन की अवधि सरकार द्वारा तय की जाती है और विधानसभा अध्यक्ष का कार्य इसे सुचारु रूप से चलाना होता है। जब तक सदन में निर्धारित व्यापार पूरा नहीं होता, सत्र की अवधि बढ़ाई जा सकती है, लेकिन यह पूरी तरह से आवश्यक कार्यों पर निर्भर करेगा।
इसके अलावा, विस अध्यक्ष ने विधानसभा में सार्वजनिक नीतियों पर शोध को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय संसदीय अध्ययन शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान की शुरुआत की घोषणा की। उन्होंने बताया कि इस संस्थान के माध्यम से प्रदेश में सार्वजनिक नीतियों और गवर्नेंस पर काम किया जाएगा, जिससे राज्य सरकार की नीतियों पर अधिक शोध और अध्ययन किया जा सकेगा। इस संस्थान की शुरुआत उत्तराखंड के प्रमुख विश्वविद्यालयों जैसे आईआईटी रुड़की, गढ़वाल विश्वविद्यालय और कुमाऊं विश्वविद्यालय से होगी। इसके तहत प्रदेश भर के विश्वविद्यालयों को एक माह के भीतर इस संस्थान के बारे में जानकारी देने के लिए एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
इस प्रकार, उत्तराखंड विधानसभा का आगामी सत्र तकनीकी दृष्टि से एक नया अध्याय शुरू करेगा, जिसमें ई-नेवा की शुरुआत से कार्यवाही में पारदर्शिता और सुव्यवस्था बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।