उत्तरकाशी: गंगोत्री धाम और ऊंचाई वाले गंगोत्री नेशनल पार्क क्षेत्र में शीतलहर का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। रात्रि के समय तापमान माइनस में जाने के चलते नदी, झरनों के साथ-साथ पेयजल स्रोत और पाइपलाइनों में पानी जमने लगा है। इसके कारण धाम में रह रहे स्थानीय लोगों, पुलिस और वन कर्मियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
शून्य से नीचे पहुंचा तापमान, बढ़ी ठिठुरन – चारधाम के प्रमुख गंगोत्री धाम में भले ही इस सीजन में अब तक बर्फबारी नहीं हुई है, लेकिन शीतलहर के कारण न्यूनतम तापमान -9.9 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान -0.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। इतनी कम तापमान होने की वजह से सुबह-शाम कड़ाके की ठंड पड़ रही है।

स्रोत और पाइपलाइनें जमीं, पानी की किल्लत- धाम के कई इलाकों में पेयजल पाइपलाइनें पूरी तरह जमकर चोक हो चुकी हैं, जिससे लोगों को दूर स्थित भागीरथी नदी से पानी ढोना पड़ रहा है। पाइपलाइनें जमी होने से पेयजल संकट और अधिक गंभीर होता जा रहा है।
गंगोत्री-गोमुख ट्रेक पर फिसलन का बढ़ा खतरा- हाल ही में पार्क कर्मियों की एक टीम ने गंगोत्री-गोमुख ट्रेक पर गश्त की, जिसके दौरान 5 से 7 स्थानों पर पानी के स्रोत जमे हुए मिले। ट्रेक पर जमी हुई बर्फ के कारण फिसलन बढ़ गई है और दुर्घटना का खतरा बना हुआ है।
पार्क गेट बंद, फिर भी वन कर्मी कर रहे निरंतर गश्त- शीतकाल के लिए गंगोत्री नेशनल पार्क के गेट बंद कर दिए गए हैं, लेकिन वन कर्मी नियमित गश्त जारी रखे हुए हैं। वन दरोगा राजवीर सिंह रावत ने बताया कि शीतलहर की तीव्रता के बीच ड्यूटी करना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है, फिर भी कर्मचारी लगातार अपनी जिम्मेदारियां निभा रहे हैं।
