राजधानी देहरादून में रविवार रात भूकंप के हल्के झटके लगे। तीव्रता के पैमाने पर भूकंप बेशक हल्का था, लेकिन इसके पीछे बड़ी चेतावनी थी। खतरे की यह घंटी उन गगनचुंबी इमारतों के लिए थी जो दून से गुजर रही भूकंप रेखा के ऊपर या आसपास बनी हैं। पिछले दिनों देहरादून के मास्टर प्लान में भूकंप रेखा को चिह्नित कर उस पर निर्माण को रोकने की पैरोकारी की गई।
शासन ने इस पर मुहर भी लगाई। इसके बावजूद भूकंप रेखा के इर्द-गिर्द लगातार ऊंची इमारतें बन रही हैं, जो दून के लिए खतरा बन रही हैं। देहरादून भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। यहां राजपुर रोड, सहस्त्रधारा और शहंशाही आश्रम से मेन बाउंड्री थ्रस्ट फाल्ट लाइन और मोहंड के आसपास से हिमालयन फ्रंट थ्रस्ट फाल्ट लाइन गुजरती है। दून घाटी में 29 अन्य भूकंपीय फाल्ट लाइनें भी हैं। इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में ऊंची आवासीय व व्यावसायिक इमारतें बन रही हैं।
भूकंप के दौरान इन ऊंचे भवनों पर मंडराते खतरे को देखते हुए गत वर्ष पहली बार एमडीडीए ने फाल्ट लाइन प्रभावित क्षेत्रों में निर्माण को रोकने की तैयारी की। दून के मास्टर प्लान में भूकंप रेखा के 30 मीटर क्षेत्र में बहुमंजिला भवन बनाने पर प्रतिबंध का प्रस्ताव लाया गया। इस पर शासन ने अपनी मुहर लगाई।
इमारतों को हल्के भूकंप का झटका बार-बार चेता रहा
कहा गया कि फ्रंटलाइन एरिया के अलावा निकटवर्ती क्षेत्रों में अधिकतम तीन मंजिल के मकान बन सकेंगे। इसके बाद भी इस नियम का पालन नहीं कराया जा रहा है। नक्शे भी पास हो रहे हैं। एमडीडीए ने वर्ष 2015 में बिल्डिंग बायलॉज में प्रावधान किया था कि 30 डिग्री व इससे अधिक ढाल वाले क्षेत्रों में भवन निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह नियम भी कागजों में ही रह गया। बिधौली, मसूरी रोड समेत मालीदेवता क्षेत्र व आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों में बहुमंजिला निर्माण किया गया है। इन इमारतों को हल्के भूकंप का झटका बार-बार चेता रहा है।
भूकंप रेखा क्या है
पृथ्वी की सतह में नीचे एक लंबी दरार है। इसे फॉल्ट लाइन कहते हैं। इसमें जब भी हलचल होती है तो पृथ्वी के नीचे प्लेटें टकराती हैं। घर्षण होने से उत्पन्न ऊर्जा बाहर निकलती है। इससे भूकंप आता है।