उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की स्नातक स्तरीय परीक्षा के पेपर लीक मामले ने राज्यभर में बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। 21 सितंबर को हरिद्वार के एक परीक्षा केंद्र से प्रश्न पत्र के तीन पन्ने बाहर आ गए थे, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुए। इसके बाद से ही बड़ी संख्या में युवा देहरादून में धरने पर बैठ गए और लगातार सीबीआई जांच की मांग करते रहे।
युवाओं के आंदोलन को शांत करने के लिए पहले जिलाधिकारी सविन बंसल और एसएसपी अजय सिंह ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत की। इसके अलावा कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौके पर पहुंचे, लेकिन छात्र-युवा केवल सीबीआई जांच की संस्तुति पर अड़े रहे। आखिरकार आंदोलन के आठवें दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद धरनास्थल पर पहुंचे और युवाओं से सीधा संवाद किया।
सीएम धामी ने छात्रों को आश्वस्त करते हुए कहा कि सरकार ने मामले की सीबीआई जांच की संस्तुति कर दी है। उन्होंने धरना दे रहे युवाओं को लिखित में आश्वासन दिया और भरोसा दिलाया कि पारदर्शिता के साथ जांच होगी। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि परीक्षा देने वाले छात्रों पर दर्ज किए गए सभी मुकदमे वापस ले लिए जाएंगे। इसके लिए छात्रों से नामों की सूची मांगी गई है ताकि प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा सके।
गौरतलब है कि पेपर लीक प्रकरण सामने आने के बाद सरकार पहले ही कार्रवाई कर चुकी है। सेक्टर मजिस्ट्रेट केएन तिवारी, असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन, एक दरोगा और एक सिपाही को निलंबित किया जा चुका है। जांच में असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन की पेपर सॉल्वर के रूप में भूमिका भी सामने आई है।
वहीं, नई टिहरी में एसआईटी की टीम भी इस मामले की जांच कर रही है। कई युवाओं के बयान दर्ज किए गए हैं और कुछ गवाह भी सामने आए हैं। मुख्यमंत्री धामी ने साफ किया कि सरकार युवाओं के हितों से कोई समझौता नहीं करेगी और पूरी पारदर्शिता के साथ दोषियों को कड़ी सज़ा दी जाएगी।
लगातार आठ दिनों से चल रहे आंदोलन के बाद सीएम धामी के इस फैसले को युवाओं की बड़ी जीत माना जा रहा है। इससे एक तरफ जहां बेरोजगार युवाओं का भरोसा बहाल हुआ है, वहीं सरकार ने भी संकेत दिया है कि भविष्य में भर्ती प्रक्रियाओं को पूरी तरह निष्पक्ष और सुरक्षित बनाया जाएगा।
