उत्तराखंड में स्नातक स्तरीय परीक्षा के पेपर लीक प्रकरण को लेकर लगातार चर्चा जारी है। इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यदि इस प्रकरण की सीबीआई जांच कराई जाती है, तो भर्ती प्रक्रिया कई सालों तक स्थगित हो सकती है। इससे प्रदेश के युवाओं को भारी नुकसान होगा, खासकर उन युवाओं को जो भर्ती के लिए अधिकतम आयु सीमा के नजदीक हैं।
सीएम धामी ने एससीईआरटी सभागार में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कहा कि कुछ लोग प्रदेश में भर्ती प्रक्रिया लटकाने के षडयंत्र में लगे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग पेपर लीक का मामला उठा भर्तियों को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं और चाहते हैं कि भर्ती पारदर्शी तरीके से न हो। सीएम ने यह भी कहा कि इस मामले में सीबीआई जांच की लंबी प्रक्रिया होती है और यह कई सालों तक चल सकती है, जिससे पूरे भर्ती चक्र पर असर पड़ेगा।
धामी ने कहा कि उन्होंने चार जुलाई 2021 को मुख्य सेवक के पद और गोपनीयता की शपथ ली थी। उसी दिन उन्होंने यह संकल्प लिया कि सरकारी विभागों में जितने भी पद खाली हैं, उन्हें राज्य के युवाओं से भरा जाएगा। इस संकल्प को सरकार पूरी निष्ठा के साथ पूरा कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार भर्ती परीक्षाओं को रोकने या लटकाने की अनुमति नहीं देगी।
वर्तमान में, पेपर लीक प्रकरण को लेकर बेरोजगार युवाओं का आंदोलन भी जारी है। देहरादून के परेड ग्राउंड पर युवाओं का धरना लगातार चौथे दिन भी जारी है। कांग्रेस पार्टी ने भी इस आंदोलन का समर्थन किया है और युवाओं को भरोसा दिया है कि वे उनके साथ खड़े हैं।
सीएम धामी के बयान और बेरोजगार युवाओं के धरने के बीच इस मामले में संवेदनशील स्थिति बनी हुई है। सरकार और युवाओं के बीच यह तनाव दर्शाता है कि राज्य में भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करना कितनी बड़ी चुनौती बन गई है।
