
देहरादून समेत पूरे उत्तराखंड में आज सावन मास के पहले सोमवार को श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। तड़के सुबह से ही शिवालयों में जलाभिषेक के लिए लंबी कतारें लगनी शुरू हो गईं। पुरुष, महिलाएं, बच्चे और बुज़ुर्ग—हर उम्र के श्रद्धालु शिव भक्ति में डूबे नजर आए।
देवभूमि उत्तराखंड के प्रमुख शिवालयों—टपकेश्वर महादेव मंदिर, सिद्धेश्वर मंदिर, लक्ष्मण सिद्ध मंदिर और हनुमान चौक स्थित प्राचीन शिव मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। भोलेनाथ के भक्त गंगाजल, बेलपत्र, धतूरा और भस्म लेकर पहुंचे और विधिवत पूजन-अर्चन किया। सुरक्षा और व्यवस्था के मद्देनज़र स्थानीय प्रशासन ने मंदिर परिसरों में पुलिस बल तैनात किया, वहीं ट्रैफिक पुलिस ने रूट डायवर्ट कर श्रद्धालुओं को सुविधा देने का प्रयास किया।
सावन का महीना विशेष रूप से शिव आराधना के लिए समर्पित होता है और इस पावन मास के प्रत्येक सोमवार को शिव भक्त व्रत रखते हैं, मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं और रुद्राभिषेक का आयोजन भी करते हैं।
मान्यता है कि सावन सोमवार पर शिव पूजन करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके अलावा जीवन में सदैव सुख-समृद्धि वास करती हैं। ऐसे में आइए इस दिन की पूजा विधि और महत्व को विस्तार से जानते हैं
विशेष महाआरती का आयोजन है किया जाता
सावन के दौरान मंदिर में रुद्राभिषेक, पंचामृत स्नान, गंगाजल व दूध से अभिषेक तथा बेलपत्र अर्पण जैसे पारंपरिक अनुष्ठानों के साथ शिवलिंग की पूजा की जाती है। सुबह से ही भक्त मंदिर परिसर में जुटने लगते हैं। मंदिर के महंत 108 आशुतोष पुरी के अनुसार, जो भी भक्त निष्काम भाव से फल रस, पंचामृत और मंत्रोच्चारण के साथ भगवान कमलेश्वर का अभिषेक करता है, उसे सभी कार्यों में शिव कृपा से सिद्धि प्राप्त होती है। सावन के सोमवार को विशेष महाआरती का आयोजन किया जाता है। सावन का पवित्र महीना कमलेश्वर महादेव मंदिर में केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, भक्ति और मोक्ष की ओर बढ़ने का एक सशक्त माध्यम बन जाता है। यहां का वातावरण भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देता है, जो जीवन को एक नई दिशा देने में सहायक होता है।