चमोली जिले में स्थित चतुर्थ केदार, रुद्रनाथ मंदिर के कपाट 17 अक्टूबर को शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। इस वर्ष बारिश के चलते रुद्रनाथ मंदिर की तीर्थयात्रा में काफी व्यवधान आया है, लेकिन इसके बावजूद श्रद्धालुओं ने अपने पारंपरिक भक्ति मार्ग का पालन किया। इस अवसर पर सुबह ब्रह्ममुहुर्त में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाएगा, जिसके बाद रुद्रनाथ की चल विग्रह डोली गोपीनाथ मंदिर, गोपेश्वर के लिए प्रस्थान करेगी। गोपीनाथ मंदिर रुद्रनाथ का शीतकालीन गद्दीस्थल होगा, जहां अगले छह महीनों तक भगवान रुद्रनाथ की पूजा और दर्शन होंगे।
पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य देवेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि डोली के प्रस्थान के समय श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी। इसके तहत भक्तों को पूजा-अर्चना और डोली यात्रा में सहज सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इस वर्ष तीर्थयात्रा बरसात की वजह से प्रभावित रही, जिससे ऊंचाई वाले मार्गों पर सुरक्षा और आवागमन की चुनौतियां बढ़ गईं।
इसके अलावा, केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग ने हक-हकूकधारी गांवों में ईडीसी (इको-टूरिज्म कमेटी) का गठन किया है। इसका उद्देश्य तीर्थयात्रियों को बुग्याल क्षेत्रों में ठहरने और खाने-पीने की बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है। ईडीसी के गठन से ग्रामीण इलाकों में पर्यटन के बेहतर प्रबंधन और स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
विशेष रूप से, रुद्रनाथ मंदिर की शीतकालीन पूजा के दौरान गोपीनाथ मंदिर में सभी पारंपरिक अनुष्ठान और भव्य आराधना का आयोजन किया जाएगा। प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी विशेष ध्यान दिया है ताकि तीर्थयात्रियों को कोई कठिनाई न हो। स्थानीय लोग और भक्त इस अवसर को अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाते हैं।
इस प्रकार, रुद्रनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के बाद छह माह तक भक्त शीतकालीन गद्दीस्थल गोपीनाथ मंदिर में भगवान रुद्रनाथ के दर्शन कर सकते हैं। मंदिर प्रशासन और वन्यजीव विभाग की व्यवस्थाओं से तीर्थयात्रियों की सुविधा सुनिश्चित होगी। रुद्रनाथ की चल विग्रह डोली के प्रस्थान और शीतकालीन पूजा की तैयारियों से इस क्षेत्र में धार्मिक और सांस्कृतिक माहौल जीवंत रहेगा।
