
आचार्य कृष्ण प्रसाद पन्थी की ओर से संस्कृत काव्य परम्पराका अनुपालन करते हुए श्रीमद्भगवद्गीता का नेपाली भाषा मे लिखित श्लोकानुवाद पुस्तक का विमोचन श्री रामनवमी पर्व के शुभअवसर पर रविवार के दिन हरि क्षेत्री और महेन्द्र सिंह क्षेत्री के निवास डाँडी नेहरुग्राम,देहरादून मे कृष्ण प्रसाद ढकाल पूर्व प्रधानाचार्य वेद महाविद्दालय ऋषिकेश की अध्यक्षता मे अखिल भारतीय नेपाली भाषा समिति और उत्तराखण्ड राज्य नेपाली भाषा समिति के संयुक्त आयोजना मे और गोर्खाली सुधार सभा,बलभद्र खलंगा विकास समिति मान्यता प्राप्त सामाजिक संस्थाओं और आमंत्रित गणमान् अतिथियों की उपस्थित मे सम्पन्न हुआ। समारोहका संचालन डा.दिनेश शर्मा की ओर से किया गया। आचार्य कृष्ण प्रसाद पंथी की ओर स कृष्णामृत प्रबोधिनी का प्रथम वाचन भी प्रस्तुत किया गया।
आचार्य कृष्ण प्रसाद पन्थी ने प्रस्तुत पुस्तक के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि समाज मे कर्तव्य निष्ठता,संघर्ष शीलता,कर्मपरायणता, उच्च नैतिक मूल्यता,धार्मिक -आध्यात्मिक जीवन शैली तथा आदर्शमय शिक्षा प्रदान कारक होगा। आत्मा की अजरता और अमरता की दार्शंनिक सिध्दान्त मे आधारित श्रीमद्भगवद्गीता का यह अनुवाद कृष्णामृत प्रबोधिनी सनातन धर्म -संकृति के प्रचार – प्रसार के लिए भी भूमिकामय होगा। जीवनकी विषम परिस्थिति,अवषाद,चिन्ता,भय, आशक्ति आदि जैसे मनोदशाओं से मुक्ति दिलाकर ईश्वर भक्ति,राष्ट्रभक्ति की भावना भरकर कर्म योगी बनने के लिए श्रीमद् भगवद्गीता मानव जाति के लिए अद्वित्तीय ज्ञान रत्न है। संस्कृत श्लोकों की लयात्मक छन्द सिध्दान्त की आधार भूमि पर अनुदित कृष्णामृत प्रबोधिनी(श्रीमद्भगवद्गीता नेपाली श्लोकानुवाद )अवस्यमेव समाजमे उपरोक्त मुल्योंको हासिल करने मे सफल होगा। लय के साथ गाकर पढी जाने वाली प्रस्तुत पुस्तक गीताके ज्ञानको युवा वर्ग तक सहजता के साथ हस्तान्तरित हो सकेगा और एक सभ्य अनुशासित मूल्यों की स्थापना होगी ऐसा मै सोचता एवं मानता हूँ।