Uttarakhand: उपचुनाव के लिए कांग्रेस प्रभारी शैलजा के पास वक्त नहीं, वर्चुअल बन रही चुनावी रणनीति

June 27, 2024 | samvaad365

उत्तराखंड कांग्रेस बदरीनाथ और मंगलौर विस उपचुनाव को लोकसभा चुनाव की हार का हिसाब बराबर करने का मौका तो मान रही है, लेकिन पार्टी प्रभारी शैलजा की अरुचि ने कांग्रेसियों की चिंता बढ़ा दी है। उपचुनाव के लिए भी कांग्रेस प्रभारी समय नहीं निकाल पा रही हैं।

चुनाव की घोषणा होने के बाद से वह एक बार भी उत्तराखंड नहीं आ सकीं। एक तरफ जहां भाजपा के प्रदेश प्रभारी से लेकर अन्य दिग्गज बारी-बारी से दोनों सीटों पर चुनाव प्रचार को धार दे रहे हैं, वहीं कांग्रेस प्रभारी रण में उतरने के बजाय वर्चुअल माध्यम से रणनीति बना रही हैं। आलम यह है कि पार्टी की जीत के लिए उनकी ओर से कांग्रेस नेताओं को जीत के लिए पत्र भेजकर रस्म अदायगी निभा दी गई है।

दोनों सीटों पर उपचुनाव के लिए दो सप्ताह का समय बाकी है। भाजपा का प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व बैठक कर दोनों सीटों पर उपचुनाव की रणनीति बना रहा है। लेकिन कांग्रेस में ऐसी रणनीति फिलहाल अभी नहीं दिख रही है। हालांकि प्रदेश कांग्रेस नेता अपने-अपने स्तर पर दोनों सीटों पर प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस हाईकमान ने उत्तराखंड पर खास ध्यान नहीं दिया। जिससे प्रदेश की पांचों सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।

प्रदेश प्रभारी के रूप में शैलजा कुमारी पर उत्तराखंड में कांग्रेस को मजबूत करने की जिम्मेदारी है। लेकिन लोकसभा चुनाव में वह सिर्फ दो बार ही उत्तराखंड आईं। ज्यादातर वह हरियाणा के सिरसा लोकसभा सीट से अपने चुनाव में व्यस्त रहीं। अब उपचुनाव में चुनावी रणनीति बनाने के लिए प्रदेश प्रभारी ने उत्तराखंड आकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक कर रणनीति पर चर्चा नहीं की। उन्होंने प्रत्याशियों के पैनल पर प्रदेश नेताओं के साथ वर्चुअल बैठक कर अपनी जिम्मेदारी को निभाया।

सह प्रभारी दीपिका पांडे आईं और चलीं गईं

उपचुनाव की रणनीति बनाने के लिए प्रदेश सह प्रभारी दीपिका पांडे को उत्तराखंड भेजा गया। लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ कोई बैठक नहीं की। प्रत्याशियों के नामांकन सभा में शामिल होने के बाद सह प्रभारी भी वापस चलीं गईं।

मंगलौर सीट पर शैलजा का होता प्रभाव

हरियाणा के सिरसा संसदीय सीट से सांसद एवं प्रदेश प्रभारी शैलजा कुमारी मंगलौर सीट पर चुनाव जनसभा करती तो अल्पसंख्यक व अनुसूचित जाति वर्ग का समर्थन साधने में कांग्रेस को फायदा होता, लेकिन कांग्रेस में ऐसी कोई रणनीति नहीं है।

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