लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी ने समान नागरिक संहिता को पूरे देश की जरूरत बताया तो उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने की तैयारियां और जोश से भर गई हैं। अक्तूबर माह में उत्तराखंड यूसीसी लागू करके देश के पहले राज्य के तौर पर नजीर बनने जा रहा है, ऐसे में यूसीसी लागू करने वाली समिति की तैयारियां युद्धस्तर पर चल रही हैं।
यूसीसी की नियमावली और क्रियान्वयन समिति की पांच सदस्यीय टीम यूसीसी के नियमों को ड्राफ्ट करने के साथ इसको लागू करने वाले वेब पोर्टल के तकनीकी पहलुओं पर भी लगातार काम कर रही है। ताकि इसका लाभ देने की प्रक्रिया को सरल बनाया जा सके। इसके साथ ही राज्य में विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम चलाने की तैयारी की जा रही है। उधर, यूसीसी लागू होने के बाद राज्य में नवंबर 2024 से मई 2025 तक जन अभियान चलाया जाएगा। यूसीसी के लागू होने से पहले हुए सभी विवाह को यूसीसी पोर्टल पर पंजीकृत करवाया जाएगा।
यूसीसी पोर्टल पर तलाक, विवाह और लिव इन रिलेशन के पंजीकरण के लिए लोगों को जागरूक करने का विशेष अभियान भी चलाया जाएगा। साथ ही लोगों को पोर्टल से बिना वकील को शुल्क दिए वसीयत कराने की सुविधा दी जाएगी, ताकि सभी धर्मों में उत्तराधिकार कानून का समान रूप से पालन हो सके और संपत्ति विवादों का हल निकले।
साप्ताहिक अवकाश, तीज त्योहार भूल चुकी है टीम
समिति में अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम के अलावा कुछ सरकारी नोडल ऑफिसर और सहयोगी काम कर रहे हैं, जिनमें अब कानूनी सहायकों की संख्या बढ़ाकर तीन कर दी गई है। पूरी टीम बीते फरवरी से बिना कोई साप्ताहिक अवकाश या तीज-त्योहार की छुट्टी लिए लगातार सात से आठ घंटे काम कर रही है।
यूसीसी, यानी एक देश और एक कानून लागू होने से शादी, तलाक, संपत्ति से संबंधित उत्तराधिकार के नियम एक हो जाएंगे। इसके साथ ही राज्य में अलग-अलग धर्मों के हिसाब से कानून समाप्त हो जाएंगे। नागरिक किसी भी धर्म का क्यों न हो, उसे यूसीसी का पालन करना ही होगा।