
नेपाल में भड़की हिंसक घटनाओं ने देहरादून समेत उत्तराखंड में रहने वाले लोगों की चिंता बढ़ा दी है। नेपाल की राजधानी काठमांडू और अन्य प्रभावित इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, सरकारी कार्यालय, मंत्रियों के आवास और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया है। देशभर में स्थिति तनावपूर्ण है और अधिकांश जगहों पर कार्य प्रभावित हुए हैं।
उत्तराखंड में नेपाल सीमा से सटे पिथौरागढ़, ऊधमसिंहनगर और चंपावत जिलों में पुलिस ने सुरक्षा बढ़ा दी है। इन जिलों में आने-जाने वाले मार्गों पर पेट्रोलिंग की जा रही है और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के साथ समन्वय बनाए रखा जा रहा है। पुलिस मुख्यालय इन जिलों से नियमित अपडेट ले रहा है।
गढ़ी कैंट निवासी माया पंवार ने बताया कि उनका भाई काठमांडू में रहता है। लेकिन आंदोलन शुरू होने के बाद तीन दिन से उनसे संपर्क नहीं हो पाया है। मंगलवार को उनकी मौसी से हालात जानने पर पता चला कि वहां लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं और स्थिति बेहद खराब है। इसी तरह रायपुर निवासी नील कमल चंद का भतीजा भी काठमांडू में फंसा हुआ है और उनसे संपर्क नहीं हो पाया है। नेपाल में युवाओं के आक्रोश ने कई जगहों को जला दिया है, जिससे वहां की सुरक्षा और सामान्य जीवन प्रभावित हुआ है।
दून निवासी टेकू मगर, जो भारत-नेपाल मैत्री बस सेवा संचालित करते हैं, ने बताया कि चार दिन पहले तीन बसें नेपाल गई थीं और अभी तक वापस नहीं लौटी हैं। हालांकि प्रदर्शनकारियों ने बसों को नुकसान नहीं पहुँचाया, फिर भी उनके और यात्रियों के सुरक्षित लौटने को लेकर चिंता बनी हुई है। दो दिन से बस सेवा संचालक नेपाल के स्थानीय लोगों और कर्मचारियों से संपर्क में हैं।
नेपाल और भारत के बीच रोटी-बेटी का रिश्ता सदियों पुराना है। वर्तमान हिंसक घटनाओं ने यह सामाजिक और पारिवारिक संबंध भी प्रभावित किया है। दूनवासियों ने प्रशासन से अपील की है कि सीमा क्षेत्रों और नेपाल से लौटने वाले नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
इस संकट के बीच नेपाल में फंसे लोगों और उनके परिजनों की चिंता लगातार बढ़ रही है। स्थानीय प्रशासन ने अलर्ट जारी कर सीमा क्षेत्रों में सुरक्षा कड़ी कर दी है। पुलिस और एसएसबी की संयुक्त निगरानी के माध्यम से उत्तराखंड में किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
इस प्रकार, नेपाल में भड़की हिंसा ने न केवल वहां के नागरिकों को प्रभावित किया है, बल्कि उत्तराखंड और देहरादूनवासियों में भी सुरक्षा और अपने परिजनों की चिंता बढ़ा दी है।