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38वें राष्ट्रीय खेलों के लिए लगभग 100 करोड़ की लागत से तैयार किए गए अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैदान, उपकरण, स्वीमिंग पूल आदि इंफ्रास्ट्रक्चर की देखरेख भविष्य में भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) भी कर सकता है। जिससे केंद्र सरकार के बजट से उन सभी खेल अवस्थापन की देखरेख बेहतर तरीके से हो सके। इससे उत्तराखंड ही नहीं, देशभर के खिलाड़ियों को लाभ मिलेगा। इन सुविधाओं के साथ अभ्यास करके उत्तराखंड और आसपास के राज्यों के खिलाड़ी ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे। यदि ऐसा हुआ तो देव भूमि की पहचान जल्द ही खेल भूमि के तौर पर भी होगी।
केंद्र सरकार की सचिव और साई की महानिदेशक सुजाता चतुर्वेदी बृहस्पतिवार को देहरादून पहुंची। उन्होंने खेल स्थलों का दौरा कर इंफ्रास्ट्रक्चर को देखा। महाराणा प्रताप स्टेडियम की शूटिंग रेंज में पेरिस ओलंपिक में इस्तेमाल हुए 160 इलेक्ट्रॉनिक टारगेट के अवस्थापन की जानकारी भी ली। उन्होंने सराहना की कि राज्य ने खिलाड़ियों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित किया है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दौरे के दौरान सचिव और डीजी (साई) चतुर्वेदी ने कहा कि यह सुनिश्चित करना होगा कि राष्ट्रीय खेलों के बाद भी खेल अवस्थापनाओं की देखरेख बेहतर तरीके से हो। इसके लिए भविष्य में साई की मदद ली जा सकती है। केंद्र सरकार साई के जरिए सभी अवस्थापना की देखरेख कर सकती है। राज्य में साई के स्पेशल ट्रेनिंग सेंटर पहले से संचालित हैं।
खेलों के बाद 100 करोड़ से ज्यादा के उपकरण और खेल स्थलों की देखरेख को लेकर राज्य सरकार पहले से फिक्रमंद है, जिसके चलते खेल मंत्री रेखा आर्या खुद कह चुकी हैं कि जिस तरह से राज्य ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शूटिंग रेंज, स्वीमिंग पूल, एथलेटिक्स ट्रेक, जिमनास्टिक, फेंसिंग आदि के लिए उपकरण व सुविधाएं जुटाई हैं, उनकी भविष्य में देखरेख के लिए खेल अकादमी बनाने पर विचार जारी है।
अभी तक साई की देखरेख को लेकर कोई स्पष्ट बात नहीं हुई है। खेलों के बाद अवस्थापनाओं की देखरेख को लेकर डीजी(साई) ने वार्ता के लिए जरूर बुलाया है।
– अमित सिन्हा, विशेष प्रमुख सचिव, खेल