देहरादून: उत्तराखंड सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इसी दिशा में उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने संचारी और गैरसंचारी रोगों की रोकथाम और समय पर पहचान के लिए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र खोलने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार ने इसके लिए प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र खुलने से ब्लॉक और जिला स्तर पर रोगों की निगरानी और उपचार में सुधार होगा। इससे सरकार के पास रोगों से ग्रसित मरीजों का सटीक डेटा भी तैयार हो सकेगा।
देशभर में तेजी से फैल रहे संचारी और गैरसंचारी रोग एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं। भारत सरकार की राष्ट्रीय संचारी रोग संस्थान (एनआईसीडी) इन रोगों के नियंत्रण पर रिसर्च कर दिशा-निर्देश जारी करता रहा है। अब एनआईसीडी की योजना के तहत सभी राज्यों में रोग नियंत्रण केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने भी इसी योजना के अंतर्गत केंद्र खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और देहरादून में केंद्र के लिए जगह चिन्हित करने की प्रक्रिया चल रही है।
विशेष रूप से बदलते मौसम में संचारी रोगों जैसे सर्दी-जुकाम, फ्लू, एचआईवी/एड्स, खसरा, हेपेटाइटिस ए, बी, सी, टाइफाइड, मलेरिया, डेंगू, टीबी और हैजा में तेजी से बढ़ोतरी देखी जाती है। वहीं गैरसंचारी रोगों में उच्च रक्तचाप, ब्लड शुगर, हृदय रोग, कैंसर, अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ जैसी बीमारियाँ शामिल हैं। इन रोगों की निगरानी और रोकथाम अब नए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के माध्यम से की जाएगी।
उत्तराखंड सचिव स्वास्थ्य आर. राजेश कुमार ने बताया कि प्रधानमंत्री आयुष्मान स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के तहत प्रदेश में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र बनाए जाएंगे। इसके साथ ही स्वास्थ्य महानिदेशालय में इमरजेंसी ऑपरेशन सेल भी तैयार किया जाएगा। यह सेल आपदा और अन्य आपात परिस्थितियों में तत्काल इलाज और समन्वय सुनिश्चित करेगा।
