देहरादून: नंदा की चौकी क्षेत्र में पांवटा साहिब राजमार्ग का पुल 15 सितंबर की मध्यरात्रि को हुई अतिवृष्टि में क्षतिग्रस्त हो गया था। इस अतिवृष्टि के दौरान टौंस नदी उफान पर थी और पुल के पांवटा साहिब छोर की एबटमेंट वाल ढह गई थी।
तब से वाहनों का संचालन अस्थाई ह्यूम पाइप पुलिया के माध्यम से किया जा रहा था। अब राहत की खबर यह है कि पुल को दुरुस्त करने की डीपीआर को मंजूरी मिल गई है और सुदृढ़ीकरण के लिए टेंडर भी आमंत्रित कर दिए गए हैं। लोनिवि अधिकारियों के अनुसार, पुल की मरम्मत में करीब 16 करोड़ रुपए की लागत आएगी।
यह पुल वर्ष 1992 में बना था। लोनिवि की जांच में पता चला कि किनारे वाली एबटमेंट वाल ओपन फाउंडेशन पर बनी थी…जबकि बीच के पिलर वेल फाउंडेशन पर। यही कारण था कि पानी की तेज धार के बावजूद बीच के पिलर सुरक्षित रहे…लेकिन किनारे की वाल ध्वस्त हो गई।
नई मरम्मत योजना में एबटमेंट वाल को वेल फाउंडेशन पर बनाया जाएगा, जिसकी गहराई 20 मीटर से अधिक है। इसके अलावा सुरक्षा के अन्य उपाय भी जोड़े गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि दो से तीन माह में पुल तैयार होकर यातायात के लिए खोल दिया जाएगा। वेल फाउंडेशन गहरी नींव होती है..जिसे नदी या जलमग्न क्षेत्रों में पिलर खड़ा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। वहीं ओपन फाउंडेशन उथली नींव होती है और इसे ठोस जमीन या शुष्क क्षेत्रों में बनाया जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि राजमार्ग पुलों का निर्माण कम से कम 50 साल की अवधि के लिए किया जाता है। वर्ष 1992 में बने इस पुल में यह दूरगामी सोच नहीं दिखाई दी। संभवतः उस समय नदी का जलस्तर कम था…लेकिन 100 साल के वर्षा रिकॉर्ड के आधार पर निर्माण होता तो किनारे की वाल भी वेल फाउंडेशन पर बनाई जाती।
वर्तमान में अस्थाई ह्यूम पाइप पुलिया के एप्रोच मार्ग की दशा खराब है। सोमवार देर रात से टाइल्स बिछाने का कार्य शुरू किया गया है…ताकि मुख्य पुल तैयार होने तक वाहन सुरक्षित रूप से गुजर सकें।
