पिथौरागढ़(samvaad365): सीमांत जनपद पिथौरागढ़ के मुनस्यारी ब्लॉक के छह गांव रिंगू, गैला, राप्ती, वल्थी, मदकोट और चुलकोट के ग्रामीण पिछले चार महीनों से जिंदगी और मौत के बीच रोज सफर कर रहे हैं। मंदाकिनी नदी पर बना अस्थायी पुल और पैदल मार्ग आपदा में बह जाने के बाद से अब तक उसकी मरम्मत नहीं हो पाई है।
स्थिति यह है कि नदी पार करने के लिए लगी ट्रॉली भी चार महीने से हवा में लटकी हुई है। मजबूरी में ग्रामीणों को अब खतरनाक बोल्डरों और फिसलन भरे पथरीले रास्तों से होकर नदी पार करनी पड़ रही है। यही वजह है कि गांवों तक राशन दवाइयां और जरूरी सामान पहुंचाना बेहद मुश्किल हो गया है।

ग्रामीण बताते हैं कि हर दिन उन्हें नदी पार करने का जोखिम उठाना पड़ता है। जरा-सी चूक बड़ा हादसा बन सकती है। कई बार महिलाएं और बुजुर्ग रास्ते में फिसलकर घायल भी हुए हैं, लेकिन मजबूरी के आगे सब लाचार हैं।
जिला पंचायत सदस्य भावना दानू ने बताया कि ग्रामीणों की समस्या को लेकर प्रशासन और सरकार को कई बार पत्र भेजे जा चुके हैं, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द मरम्मत कार्य शुरू नहीं हुआ तो ग्रामीण उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे। साथ ही मुख्यमंत्री और जिलाधिकारी से स्थायी पुल निर्माण और वैकल्पिक रास्ते की मांग भी की है।
इस मामले में जिलाधिकारी पिथौरागढ़ आशीष कुमार भटगांई ने कहा कि ग्रामीणों की समस्या गंभीर है और उनके संज्ञान में है। संबंधित विभाग को शीघ्र मरम्मत कार्य शुरू करने के निर्देश दे दिए गए हैं। डीएम ने बताया कि तब तक के लिए वैकल्पिक रास्ता तैयार करने और अस्थायी ट्रॉली को फिर से चालू करने के आदेश जारी किए गए हैं।
डीएम ने आश्वासन दिया कि प्रशासन की ओर से हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं और जल्द ही क्षेत्र में आवाजाही सुचारू कर दी जाएगी।
