Uttarakhand News | Rishikesh : ऋषिकेश में बनकर तैयार हुए नए पुल को लेकर एक बार फिर नामकरण का मुद्दा गरमा गया है। स्थानीय लोगों के साथ-साथ हरिद्वार और ऋषिकेश के तीर्थ पुरोहितों ने राज्य सरकार से इस पुल के नाम पर पुनर्विचार करने की मांग की है। लोगों का कहना है कि नए पुल का नाम ‘बजरंग सेतु’ रखने के बजाय इसे पुराने और ऐतिहासिक नाम ‘लक्ष्मण झूला’ से ही जाना जाना चाहिए।
सोमवार को ऋषिकेश में स्थानीय दुकानदार, तीर्थ पुरोहित और सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग एकत्र हुए और सरकार से नाम न बदलने की अपील की। इस दौरान हरिद्वार से गंगा सभा के पदाधिकारी उज्ज्वल पंडित भी लक्ष्मण मंदिर के पुरोहितों और स्थानीय नागरिकों से मिले। उन्होंने कहा कि लक्ष्मण झूला और ऋषिकेश का धार्मिक व पौराणिक इतिहास एक-दूसरे से गहराई से जुड़ा है।
उज्ज्वल पंडित ने बताया कि स्कंद पुराण में ऋषिकेश को ऋषि राभ्या और भगवान विष्णु की तपस्थली के रूप में वर्णित किया गया है। पुल के एक छोर पर भगवान लक्ष्मण का मंदिर स्थित है, जबकि दूसरी ओर भगवान श्रीराम का मंदिर है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम स्वयं इस पवित्र स्थल पर आए थे। ऐसे में पुल का नाम लक्ष्मण जी से जुड़ा रहना आस्था और परंपरा दोनों के लिहाज से महत्वपूर्ण है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक इस क्षेत्र को ‘लक्ष्मण झूला’ के नाम से ही जानते हैं। ऋषिकेश का नाम आते ही सबसे पहले लक्ष्मण झूला की पहचान सामने आती है। यदि नाम बदला गया, तो क्षेत्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान पर असर पड़ेगा।
ऋषिकेश मां गंगा सेवा समिति के अध्यक्ष पुरुषोत्तम कोठारी ने कहा कि यह समझ से परे है कि सरकार वर्षों से चली आ रही पहचान को बदलने का निर्णय क्यों ले रही है। उन्होंने कहा कि आसपास की संस्थाएं, दुकानें, धर्मशालाएं और होटल लक्ष्मण झूला के नाम से ही पहचाने जाते हैं। नाम बदलने से लोगों को भ्रम की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, स्थानीय निवासी देवराज ने भी इस फैसले को अनुचित बताते हुए सरकार से दोबारा विचार करने की मांग की।

गौरतलब है कि पुराने लक्ष्मण झूला पुल की अवधि पूरी होने के बाद राज्य सरकार ने उसकी जगह एक नए पुल का निर्माण कराया है। यह पुल कांच से बना हुआ है, जो न केवल देखने में आकर्षक है बल्कि पहले की तुलना में अधिक मजबूत भी बताया जा रहा है। पुल पर सेल्फी प्वाइंट, विशेष लाइटिंग और आधुनिक सुविधाएं दी गई हैं। गंगा पार करने का नया अनुभव देने वाला यह पुल जल्द ही आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा।
