
देहरादून के गुरु नानक कॉलेज में 5 सितंबर 2025 को शिक्षक दिवस के अवसर पर “जश्न-ए-गुरु” कार्यक्रम का भव्य आयोजन हुआ। यह दिन कॉलेज के लिए खास रहा, क्योंकि इसमें न केवल विद्यार्थियों की रचनात्मकता और प्रतिभा का मंचन हुआ, बल्कि शिक्षकों को समर्पित भावनाओं का सुंदर संगम भी देखने को मिला।
कार्यक्रम की शुरुआत विभिन्न प्रतियोगिताओं से हुई। “ओपन माइक”, रंगोली, नाट्य मंचन, भाषण, कविता लेखन व पाठ, लघु वीडियो निर्माण और कार्ड मेकिंग जैसी प्रतियोगिताओं में छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कॉलेज के सीईओ भूपिंदर सिंह, डॉ. निधि चटर्जी और निदेशक डॉ. एस. दुरैवेल ने प्रतियोगिताओं का मूल्यांकन किया। प्रतियोगिता समन्वय का जिम्मा सोनाक्षी शर्मा ने निभाया।
इसके बाद सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को जीवंत बना दिया। छात्रों ने 90 के दशक के लोकप्रिय गीतों पर नृत्य कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और माहौल को जोश और उत्साह से भर दिया। इन प्रस्तुतियों का संचालन डॉ. मनीषा ने किया।
शाम का मुख्य आकर्षण रहा सूफ़ी गायक मेहुल गुप्ता का लाइव परफॉर्मेंस। उन्होंने मन की लगन, ये तूने क्या किया, इश्क सूफ़ियाना और अन्य लोकप्रिय गीतों से वातावरण को संगीतमय बना दिया। उनकी गायकी ने न केवल छात्रों बल्कि शिक्षकों को भी झूमने पर मजबूर कर दिया।
विद्यार्थियों ने “फूड, गेम्स और क्राफ्ट” जैसे रचनात्मक स्टॉल्स भी लगाए, जिसने आयोजन को और आकर्षक बनाया। इन स्टॉल्स का मूल्यांकन कर सर्वश्रेष्ठ प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। इस गतिविधि का समन्वयन प्रीति सूद ने किया।
कार्यक्रम में चेयरमैन जोगिंदर सिंह अरोड़ा और वाइस चेयरपर्सन राजेंद्र कौर अरोड़ा मुख्य अतिथि रहे। दोनों ने शिक्षकों के योगदान को नमन करते हुए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया। रजिस्ट्रार डॉ. ललित कुमार और निदेशक डॉ. दुरैवेल ने उनका स्वागत किया।
समापन अवसर पर प्रतियोगिताओं और स्टॉल्स के विजेताओं को ट्रॉफी और प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। इस मौके पर सीईओ भूपिंदर सिंह ने कहा कि शिक्षक केवल ज्ञान ही नहीं देते बल्कि समाज की नींव रखते हैं। सीओओ विनीता अरोड़ा ने कहा कि ऐसे आयोजनों से रचनात्मकता और अनुशासन विकसित होते हैं। वहीं, सीएसओ सैथजीत सिंह ने युवाओं की प्रतिभा की सराहना की और रजिस्ट्रार ललित कुमार ने शिक्षक दिवस को जीवनभर का भाव बताया। निदेशक डॉ. दुरैवेल ने आयोजन की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त की।
“जश्न-ए-गुरु” कार्यक्रम ने गुरु नानक कॉलेज में न केवल शिक्षक दिवस को यादगार बनाया, बल्कि शिक्षक-छात्र संबंधों की नई मिसाल पेश की। यह आयोजन कॉलेज के इतिहास में स्वर्णिम अध्याय बनकर दर्ज हो गया।