देहारादून: महाराष्ट्र के शिवाजी पार्क में देश के चुनिंदा नेताओं के बीच उत्तराखंड आंदोलन के प्रखर सिपाही और पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट को मंच पर स्थान मिला था। उनके साथ खड़े होने का सौभाग्य केवल वे नेता महसूस कर सकते थे जिन्हें बाला साहेब ठाकरे ने अपने 15 फीट की दूरी पर बैठाकर सम्मानित किया।
दिवाकर भट्ट को उनके बेटे सहित परिवार और उत्तराखंड के अनेक नागरिकों ने याद किया। उनके पिता के अनुसार 90 के दशक में उत्तराखंड राज्य निर्माण की मांग के दौरान बाला साहेब ठाकरे ने उन्हें लगातार प्रोत्साहित किया था। उनके प्रयास और समर्पण ने उस समय पहाड़ में क्रांतिकारियों की बड़ी फौज खड़ी कर दी थी…जिससे दिल्ली दरबार तक हिल गया और अंततः 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ।
समय के साथ कई क्रांतिकारी नेताओं ने अपनी राह बदल ली…कुछ ने राजनीतिक लालच में अपने मूल दलों और आदर्शों को छोड़ा। लेकिन दिवाकर भट्ट ने अपनी अंतिम सांस तक उत्तराखंड की सेवा को सर्वोपरि रखा। उन्होंने राज्य के सर्वांगीण विकास और पहाड़ के लोगों के अधिकारों के लिए बिना किसी स्वार्थ के लड़ाई लड़ी।
आज दिवाकर भट्ट पंचतत्व में विलीन हो गए….लेकिन उनकी छवि और योगदान उत्तराखंड के इतिहास में अमर रहेगा। उनके जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि सच्चा नेतृत्व और निष्ठा केवल सत्ता या लाभ के लिए नहीं…बल्कि जनता और राज्य के हित के लिए होनी चाहिए।
उम्मीद है उत्तराखंड के नागरिक और नेता उन्हें हमेशा याद रखेंगे….और उनके आदर्शों पर चलकर राज्य की प्रगति को आगे बढ़ाएंगे।
