हरिद्वार के महिला अस्पताल में एक चौंकाने वाली घटना घटी, जब एक गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा में कराह रही थी, लेकिन उपस्थित डॉक्टर ने उसे देखा तक नहीं। यह घटना सोमवार रात लगभग 9:30 बजे हुई, जब ब्रह्मपुरी से एक आशा कार्यकर्ता गर्भवती महिला को डिलीवरी के लिए अस्पताल लेकर आई। महिला की दर्दनाक स्थिति के बावजूद डॉक्टर ने उसे भर्ती करने से मना कर दिया और कहा कि “अभी बच्चा पैदा नहीं हो रहा, आप यहाँ से चले जाएं।”
जैसे-जैसे महिला की पीड़ा बढ़ी, वह फर्श पर तड़पने लगी। इसके बावजूद डॉक्टर ने कोई मदद नहीं की और जब आशा कार्यकर्ता ने महिला को साथ लेकर जाने से इनकार किया, तो डॉक्टर ने अभद्रता भी की। लगभग 12:30 बजे महिला का प्रसव शुरू हुआ। इस बीच, आशा कार्यकर्ता ने हिम्मत दिखाते हुए महिला को बेड पर लिटाया और डॉक्टर की मदद के बिना ही महिला ने बच्ची को जन्म दिया। प्रसव के बाद डॉक्टर ने महिला और बच्चे को भर्ती किया, लेकिन वार्ड का खून और स्थिति सब कुछ बयां कर रही थी।
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसने अस्पताल की लापरवाही और डॉक्टर के अनैतिक व्यवहार को उजागर किया। बताया गया कि आशा कार्यकर्ता का मोबाइल डॉक्टर ने छीन लिया और वीडियो-फोटो डिलीट कर दिए, ताकि किसी अधिकारी तक सबूत न पहुंचे। इस कार्रवाई से स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और जनता में गहरा रोष है।
मुख्य अधीक्षक डॉक्टर आर.बी. सिंह ने कहा कि उन्हें इस घटना की जानकारी नहीं थी, लेकिन सीएमओ डॉ. आर.के. सिंह को मामला सूचित किया गया। अब पूरी घटना की जांच रिपोर्ट मांगी गई है, और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है।
यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने गर्भवती महिलाओं के लिए लगभग तीन करोड़ रुपये की स्वास्थ्य सुविधाओं की मंजूरी दी थी। इस मामले ने अस्पताल की जवाबदेही और आपातकाल में आशा कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
