
हरिद्वार जिले में गुरुवार को किसानों और पुलिस के बीच तनावपूर्ण हालात देखने को मिले। भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के बैनर तले बड़ी संख्या में किसान स्मार्ट मीटर और बिजली दरों की समस्याओं को लेकर देहरादून स्थित ऊर्जा भवन की ओर कूच कर रहे थे। जैसे ही किसानों का जत्था बहादराबाद टोल प्लाजा पहुंचा, पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए बैरिकेडिंग लगा दी। इसी दौरान स्थिति बिगड़ गई और किसानों ने बैरिकेड तोड़ते हुए जोरदार हंगामा शुरू कर दिया।
किसानों और पुलिस के बीच जमकर नोकझोंक हुई। किसानों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें रोकने के दौरान लाठीचार्ज किया, जिससे कई लोग घायल भी हुए। हालांकि, पुलिस ने इस दावे को खारिज किया। एसपी देहात शेखर सुयाल ने कहा कि पुलिस ने किसी प्रकार का लाठीचार्ज नहीं किया, बल्कि भीड़ को नियंत्रित करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सामान्य बल प्रयोग किया गया। उन्होंने साफ किया कि पुलिस की प्राथमिकता केवल स्थिति को शांतिपूर्ण रखना थी, ताकि हालात बेकाबू न हों।
किसानों का कहना है कि सरकार उनकी समस्याओं की अनदेखी कर रही है। स्मार्ट मीटर, बढ़ते बिजली बिल और अनियमित आपूर्ति को लेकर वे लंबे समय से आंदोलनरत हैं। किसानों का आरोप है कि स्मार्ट मीटर के नाम पर उपभोक्ताओं से अतिरिक्त पैसा वसूला जा रहा है और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति भी लगातार बाधित हो रही है। किसानों का यह भी कहना है कि वे अपनी समस्याओं को लेकर सरकार से कई बार बातचीत कर चुके हैं, लेकिन कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया।
टोल प्लाजा पर जैसे-जैसे भीड़ बढ़ी, पुलिस ने अतिरिक्त बल तैनात कर हालात को काबू में किया। किसानों की ओर से ऊर्जा भवन तक पहुंचने की जिद जारी रही, वहीं प्रशासन उन्हें रोकने में जुटा रहा। स्थिति को देखते हुए टोल प्लाजा पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं और आला अधिकारी मौके पर डटे हुए हैं।
किसानों के इस हंगामे ने एक बार फिर बिजली संकट और स्मार्ट मीटर विवाद को सुर्खियों में ला दिया है। जहां किसान इसे जनता के शोषण से जोड़ रहे हैं, वहीं सरकार का कहना है कि स्मार्ट मीटर बिजली आपूर्ति व्यवस्था को पारदर्शी और सुगम बनाने के लिए जरूरी हैं। हालांकि, गुरुवार की घटना से साफ है कि यह विवाद अभी जल्द खत्म होने वाला नहीं है और आने वाले दिनों में यह आंदोलन और तेज हो सकता है।