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बजट भाषण में उत्तराखंड के खिलाड़ियों के ऐतिहासिक प्रदर्शन की वाहवाही तो ली गई लेकिन हकीकत में खिलाड़ियों के प्रोत्साहन, अंतरराष्ट्रीय खेल संसाधनों की देखरेख और खेल विकास का बजट जीरो कर दिया गया है। राज्य में विभिन्न खेलों की अकादमी, चंपावत गर्ल्स स्पोर्ट्स कॉलेज और खेल विकास निधि में बजट के नाम पर शून्य मिला है, जिससे देवभूमि को खेलभूमि बनाने का सपना धराशायी नजर आ रहा है।
इस समय खेल विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती राष्ट्रीय खेलों के 103 पदक विजेताओं को करीब 12 करोड़ से ज्यादा इनाम राशि देना है, जिन्होंने राज्य के गौरव के लिए जी-जान लगाकर ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। उस मद में सिर्फ सवा करोड़ रुपए मिले हैं।
हल्द्वानी का खेल विश्वविद्यालय भी अधर में
बजट भाषण में हल्द्वानी में खेल विश्वविद्यालय स्थापित करने की घोषणा तो हुई, लेकिन उसके बजट के नाम पर फिलहाल एक हजार रुपये टोकन राशि दी गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि टोकन राशि का मतलब है कि अनुपूरक राशि बाद में दी जाएगी। अब यह तय नहीं है कि वह कब और कितनी आएगी। जब तक राशि नहीं आएगी, तब तक खेल विश्वविद्यालय को लेकर स्पष्टता या तैयारियों की रूपरेखा तय नहीं हो सकती।
सिर्फ 250 करोड़ का बजट मिला
खेलों के लिए राजस्व और पूंजीगत मद में कुल 250 करोड़ रुपये का बजट मिला है, यानी इसमें ही विभागीय वेतन व अन्य खर्चों के अलावा खेल विकास भी करना होगा। विभाग को पिछले साल (2024-25) राष्ट्रीय खेलों के लिए 500 करोड़ से ज्यादा का बजट मिला था। इस बार उसमें सीधे 250 करोड़ की कटौती है, जबकि 2025-26 के लिए 864 करोड़ के बजट की मांग (प्रस्ताव) भेजी गई थी। इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल संसाधनों का रखरखाव, विभिन्न खेलों के लिए अकादमी स्थापित करने, चंपावत में महिला स्पोर्ट्स कॉलेज निर्माण, हल्द्वानी में खेल विश्वविद्यालय, खेल विकास निधि आदि खर्च हैं। नए खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए उदयमान फंड में 16 करोड़ मांगे गए थे लेकिन उसमें भी सिर्फ 10 करोड़ मिले हैं।