उत्तराखंड वन विभाग में वन आरक्षी पद पर प्रतीक्षारत अभ्यर्थियों का मामला शासन की आपत्तियों के कारण लटक गया है। हालांकि मुख्यालय ने शासन को प्रतीक्षारत अभ्यर्थियों की नियुक्ति को लेकर अनुमोदन मांगा था। लेकिन शासन ने कुछ बिंदुओं पर जानकारी मांगी है, जिससे अब मुख्यालय स्तर पर इन युवाओं को तैनाती मिलना मुश्किल दिख रहा है। ऐसे में युवाओं की नियुक्ति के लिए कैबिनेट स्तर पर ही अंतिम फैसला लिया जाएगा।
उत्तराखंड शासन में वन आरक्षी पद पर वेटिंग लिस्ट का मामला पत्राचार के कारण फिलहाल लटक गया है। वन विभाग में करीब 160 प्रतीक्षा सूची के अभ्यर्थियों की तैनाती से जुड़ा यह मामला है, जिस पर काफी लंबे समय से कोई निर्णय नहीं हो पाया है। ऐसा इसलिए क्योंकि वन मुख्यालय ने सूची में मौजूद अभ्यर्थियों की नियुक्ति की अनुमति शासन से मांगी थी। लेकिन शासन ने कुछ आपत्तियों के साथ विभाग से वापस जानकारियां मांग ली। इसके बाद उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग और उत्तराखंड लोक सेवा आयोग से भी संबंधित जानकारियां मांगी जा रही हैं।
खास बात यह है कि अब यह पूरा मामला कागजी पेचीदगियों में फंस गया है। इस कारण अब वन मुख्यालय के स्तर पर इन्हें नियुक्ति देना फिलहाल मुमकिन नहीं दिखाई दे रहा है। ऐसे में प्रतीक्षा सूची के इन अभ्यर्थियों को कैबिनेट के माध्यम से ही नियुक्ति दी जा सकती है।
इसी को लेकर वन मुख्यालय पर 5 दिनों तक प्रतीक्षा सूची के अभ्यर्थियों ने धरना भी दिया था और वन मुख्यालय से नियुक्ति देने की मांग की थी। इसके बाद वन मंत्री सुबोध उनियाल ने शासन के अधिकारियों और वन मुख्यालय के अफसर के साथ मिलकर बैठक की थी जिसमें युवाओं को आश्वासन देने के बाद धरना खत्म करवाया गया था।
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने प्रतीक्षारत सूची के इन अभ्यर्थियों को वन विभाग में वन आरक्षी पद पर तैनाती देने का भरोसा दिलाया है। इसके लिए कैबिनेट में उनके मामले को प्रस्ताव के रूप में लाने की भी तैयारी की जा रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि शासन स्तर पर यदि इस मामले में गंभीरता दिखाई गई, तो जल्द ही इसका प्रस्ताव तैयार किया जा सकता है। इसे आगामी कैबिनेट बैठक में लाकर प्रतीक्षा सूची के अभ्यर्थियों को तैनाती दिलवाने का रास्ता खोला जाएगा।