चोपता-बिसुड़ीताल-खमदीर-नंदकुंड-मद्महेश्वर ट्रैकिंग रूट दुर्गम है और इस पर ग्लेशियर, झीलें और कई किमी तक फैला पथरीला भू-भाग है। आने वाले दिनों में यह देश-विदेश के ट्रैकर की पसंद बन सकता है।
मद्महेश्वर घाटी के गौंडार गांव के अभिषेक पंवार व अजय पंवार, बडाूस गांव के संजय नेगी, नई टिहरी बडियारगढ़ के विनय नेगी और डांगी गांव के विपिन सिंह ने नए ट्रैक की खोज की है। यह पर्यटक स्थल चोपता को द्वितीय केदार मद्महेश्वर से जोड़ रहा है। 20 सितंबर को पांच सदस्य दल ने पर्यटक स्थल चोपता से नए ट्रैक खोज अभियान की शुरुआत की। पहले दिन तीन किमी की दूरी तय कर दल रात्रि प्रवास के लिए मर्तोली पहुंचा। 21 सितंबर को सुबह छह बजे पांच सदस्यीय दल मर्तोली से आगे बढ़ा और कई नदी नालों को पार करते हुए 15 किमी की दूरी तय कर चित्रा वड्यार पहुंचा।
22 सितंबर को दल चित्रा बड्यार से डिजिटल मैप की मदद से आगे बढ़ते बुग्याली छोटे-छोटे मैदानों व घाटियों के बीच स्थित बिसुड़ीताल होते हुए दवा मरूड़ा पहुंचा। 24 सितंबर को युवाओं का दल अजय पास से अभियान को आगे बढ़ाते हुए प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज भरतकुंड, केदारनाथ, केदारडोम, खर्च कुंड, भागीरथी, मंदानी पर्वती, सतोपंथ, जन्हुकुंड, चौखंभा का दूर से दीदार करते हुए डगडनियाल खाल पहुंचा। यह पूरा क्षेत्र पथरीला है और यहां पत्थरों की शिलाएं हैं।
क्षेत्र चमोली और रुद्रप्रयाग जिले की सीमा से लगा है। यहां से आगे खमदीर है, जो समुद्रतल से 4500 मीटर की ऊंचाई पर है। पूरे क्षेत्र में बड़े-बड़े पहाड़ जैसा भूखंड है। खमदीर के निचले हिस्से में ट्री लाइन शुरू होती है। यहां से शेषनाग कुंड से नंदी कुंड होते हुए दल पांडवसेरा से काच्छिनी खाल से नीचे उतरे हुए द्वितीय केदार मद्महेश्वर पहुंचा पांचों युवा बीते वर्ष मद्महेश्वर घाटी में एक सरोवर की खोज भी कर चुके हैं, जिसे उन्होंने शिव सरोवर नाम दिया था। यह सरोवर मद्महेश्वर-पांडवसेरा-नंदकुंड-घिया विनायक पास-पनपतिया ट्रैकिंग सर्किट पर स्थित है। वर्ष 2022 में 27 अगस्त को युवाओं ने अपना ट्रैकिंग अभियान शुरू किया था और एक सितंबर को ताल की खोज की थी।