ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के संस्थापक असदुद्दीन ओवैसी ने चमोली व्यापार मंडल की 15 मुस्लिम परिवारों को क्षेत्र छोड़कर चले जाने के प्रस्ताव का विरोध किया है। उन्होंने एक्स पर लिखा कि समान नागरिक संहिता का कानून बनाने वाले उत्तराखंड में क्या मुसलमानों को समानता से जीने का अधिकार नहीं है। मुसलमानों को भारत में अछूत बना दिया गया है। उत्तराखंड के चमोली में 15 मुसलमान परिवारों का सामूहिक बहिष्कार किया जा रहा है। चमोली के व्यापारियों ने धमकी दी है कि 31 दिसंबर तक मुसलमानों को चमोली छोड़ देना होगा। अगर मकान मालिक मुसलमानों को घर देंगे, तो 10 हजार रुपये जुर्माना देना होगा। ये वही उत्तराखंड है जहां की सरकार समनाता के नाम पर यूनिफार्म सिविल कोड लागू कर रही है। क्या चमोली के मुसलमानों को समानता और सम्मान से जीने का हक नहीं है? वह आगे लिखते हैं, मोदी अरब में शेखों से गले मिल सकते हैं, तो चमोली के मुसलमानों को भी गले लगा सकते हैं। आखिरकार मोदी भारत के प्रधानमंत्री हैं, सऊदी या दुबई के तो नहीं हैं।
इस मामले पर स्थानीय भाजपा नेता का कहना है कि उन्हें लंबे समय से चमोली में रह रहे मुस्लिम परिवारों से कोई परेशानी नहीं है। मगर उन आसामाजिक तत्वों से दिक्कत है, जो पिछले कुछ महीनों से किराये के मकान लेकर यहां रह रहे हैं और कोई काम धंधा नहीं कर रहे हैं। ऐसे तत्व स्थानीय महिलाओं और बेटियों पर फब्तियां कसते हैं। इन लोगों को 31 दिसंबर तक क्षेत्र छोड़कर चले जाने के लिए कहा गया है।
स्थानीय लोगों को इलाका छोड़ने के संबंध में व्यापार मंडल संघ से स्पष्टीकरण लिया गया है। उनका कहना है कि उन्होंने जन चेतना रैली निकाली थी। उनकी मंशा है कि वहां बिना सत्यापन के जो लोग रेहड़ी-फड़ी लगा रहे थे, उनका सत्यापन होना चाहिए। उनका मुख्य उद्देश्य था कि उनके इलाके में कोई अप्रिय घटना या कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा न हो। उनके द्वारा वहां रैली निकाली गई थी। स्थिति सौहार्दपूर्ण है और किसी भी तरह का कोई तनाव नहीं है। हम लोगों ने एक जनजागृति रैली निकाली थी। पिछले पांच-छह महीनों से यहां कई असामाजिक तत्व रह रहे हैं। वे कोई काम धंधा नहीं करते हैं। हमारे क्षेत्र की बहू-बेटियों पर फब्तियां कसते हैं। उन लोगों से हमने कहा है कि आप लोग यहां से चले जाइए, जो हमारे साथ लंबे समय से रह रहे हैं, उनसे हमें कोई आपत्ति नहीं है।