उत्तराखंड में पेपर लीक के सबसे बड़े चेहरे हाकम सिंह इस बार ऐसे कानून के जाल में फंस गए हैं, जिससे बाहर निकलना आसान नहीं होगा। राज्य में लागू उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम एवं उपाय) अध्यादेश 2023 के तहत अब पेपर लीक या नकल माफियाओं को आजीवन कारावास और 10 करोड़ रुपये तक के जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
पहले हाकम सिंह सुप्रीम कोर्ट से जमानत पाकर बच निकले थे, लेकिन अब कानून बेहद सख्त है। इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति, चाहे वह परीक्षा केंद्र से जुड़ा कर्मचारी हो, कोचिंग संचालक, प्रिंटिंग प्रेस या फिर परीक्षा आयोजन से जुड़े अन्य लोग—अगर पेपर लीक या नकल में पकड़े गए तो उनके लिए राहत का कोई रास्ता नहीं बचेगा। यह अपराध संज्ञेय, गैर-जमानती और अशमनीय श्रेणी में आता है।
हाकम का विवादित इतिहास
जुलाई 2022 को पूरा प्रदेश तब सकते में आ गया था जब अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षाओं में धांधली के मामले सामने आए। हाकम सिंह का नाम सामने आते ही खुलासों का सिलसिला शुरू हुआ।
- 5 दिसंबर 2021 की स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा
- 16 से 21 जुलाई 2021 के बीच हुई ऑनलाइन वन दरोगा भर्ती परीक्षा
- 26 सितंबर 2021 की सचिवालय रक्षक भर्ती परीक्षा
ये सभी परीक्षाएं रद्द करनी पड़ीं। इसके बाद वाहन चालक, अनुदेशक, कर्मशाला अनुदेशक, मत्स्य निरीक्षक, मुख्य आरक्षी पुलिस दूरसंचार और पुलिस रैंकर्स जैसी भर्तियां भी प्रभावित हुईं।
ऑनलाइन परीक्षाओं पर ताला
हाकम पर आरोप है कि उसने न केवल ऑफलाइन पेपर प्रिंटिंग प्रेस से लीक किए, बल्कि ऑनलाइन परीक्षाओं में भी सेंध लगाई। वन दरोगा भर्ती में 83 हजार से अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए थे, लेकिन पेपर लीक हो जाने के कारण आयोग को परीक्षा रद्द करनी पड़ी। इसके बाद से आयोग ने ऑनलाइन मोड में भर्ती परीक्षाएं आयोजित करना बंद कर दिया।
इस बार जांच एजेंसियां हाकम पर नए कानून के प्रावधानों के तहत कार्रवाई कर रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आरोप साबित होते हैं तो उसे उम्रकैद और भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। युवाओं और अभ्यर्थियों में इस बात से उम्मीद जगी है कि अब नकल माफियाओं की राज्य में कोई जगह नहीं बचेगी।
