उत्तरकाशी – चारधाम के कपाट बंद होने के बाद अब उत्तराखंड के शीतकालीन गद्दीस्थलों में श्रद्धालुओं की आवाजाही तेज हो गई है। सबसे अधिक भीड़ बाबा केदार के ओंकारेश्वर धाम (ऊखीमठ) में उमड़ रही है। मान्यता है कि शीतकाल में इन गद्दीस्थलों के दर्शन करने से वही पुण्य प्राप्त होता है…..जो चारधाम यात्रा में होता है।
गद्दीस्थलों में शीतकालीन पूजा – स्कंद पुराण के अनुसार, चारधाम न पहुंच पाने वाले श्रद्धालु शीतकाल में गद्दीस्थलों के दर्शन करके भी आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। स्वास्थ्य दृष्टिकोण से भी ये स्थान अपेक्षाकृत आसान और सुरक्षित माने जाते हैं।
इस दौरान शीतकालीन पूजा इस प्रकार होती है…….
- बदरी विशाल: योग-ध्यान बदरी मंदिर (पांडुकेश्वर) व नृसिंह मंदिर (ज्योतिर्मठ)
- केदारनाथ: ओंकारेश्वर मंदिर (ऊखीमठ)
- गंगा: गंगा मंदिर (मुखवा/मुखीमठ)
- यमुना: यमुना मंदिर (खरसाली/खुशीमठ)
योग-ध्यान बदरी मंदिर (पांडुकेश्वर)
6,298 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर सप्त बदरी में प्रमुख है। यहां भगवान बदरी के प्रतिनिधि उद्धवजी और कुबेरजी की पूजा होती है। आसपास औली, वृद्ध बदरी और आदि बदरी जैसे आध्यात्मिक स्थल भी दर्शनीय हैं।
नृसिंह मंदिर (ज्योतिर्मठ)
3,000 मीटर ऊंचाई पर स्थित भगवान नृसिंह का यह प्राचीन मंदिर आदि शंकराचार्य की गद्दीस्थली भी है। माना जाता है कि ललितादित्य ने इसका निर्माण करवाया था। यहां से औली और कल्पेश्वर धाम भी आसानी से पहुंचा जा सकता है।
ओंकारेश्वर मंदिर (ऊखीमठ) – सबसे अधिक श्रद्धालु
4,300 फीट ऊंचाई पर स्थित यह विश्व का एकमात्र धारत्तुर परकोटा शैली का मंदिर है। यह बाबा केदारनाथ और बाबा मध्यमेश्वर का शीतकालीन गद्दीस्थल है।
यहां पर 21,700 श्रद्धालु अब तक दर्शन कर चुके हैं।
गंगा मंदिर (मुखवा/मुखीमठ) – भागीरथी किनारे बसे 8,528 फीट ऊंचाई वाले इस गांव को गंगा का मायका कहा जाता है। यहां प्रकृति के दिव्य दृश्य—सुदर्शन, बंदरपूंछ और श्रीकंठ जैसी चोटियां मन मोह लेती हैं।
यमुना मंदिर (खरसाली) – 8,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह स्थान यमुना का मायका कहलाता है। यहां यमुना और शनिदेव दोनों के मंदिर हैं। पुरातत्व विभाग इसे 800 वर्ष से अधिक पुराना मानता है। सर्दियों में यहां भारी बर्फबारी आकर्षण का केंद्र होती है।
ठहरने और भोजन की व्यवस्था
गद्दीस्थलों में होटल, धर्मशाला और होम स्टे की प्रचुर सुविधा उपलब्ध है। पर्यटक पहाड़ी व्यंजनों जैसे— आलू के गुटखे, मंडुवा, झंगोरा खीर, गहत की दाल, फाणू, चौलाई रोटी, राजमा आदि का स्वाद ले सकते हैं।
कैसे पहुंचे?
निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। यहां से सभी गद्दीस्थलों के लिए सीधी सड़क मार्ग सुविधा उपलब्ध है। सर्दियों में कड़ाके की ठंड और बर्फबारी को देखते हुए गर्म कपड़े और जरूरी दवाइयां साथ रखना आवश्यक है।
अब तक पहुंचे श्रद्धालु (7 दिसंबर तक)
यमुना मंदिर: 458
गंगा मंदिर: 2,390
ओंकारेश्वर मंदिर: 21,700
नृसिंह मंदिर: 900
योग-ध्यान बदरी: 295
