
चमोली जिले के थराली क्षेत्र में देर रात बादल फटने से भारी तबाही हुई, लेकिन इस कठिन समय में भी आस्था का अद्भुत उदाहरण देखने को मिला। मां नन्दा राजराजेश्वरी की विदाई की परंपरा श्रद्धा और उत्साह के साथ निभाई गई, जिसने स्थानीय लोगों को आशा और मानसिक बल प्रदान किया।
आपदा ने थराली में कई घरों और भवनों को मलबे में तब्दील कर दिया। एसडीएम आवास सहित कई भवन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। चमोली के जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि इस घटना में अब तक एक युवती की मौत हुई है, 11 लोग घायल हैं और एक व्यक्ति अभी भी लापता है। गांव में बिजली और पानी की आपूर्ति ठप हो गई है। प्रशासन ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं और प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी और डीडीआरएफ की टीमें मलबा हटाने और फंसे लोगों को बचाने में जुटी हैं। कुलसारी पॉलिटेक्निक और अन्य सरकारी भवनों में अस्थायी आश्रय बनाए गए हैं, जहां प्रभावित लोगों को भोजन और रहने की सुविधा दी जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आपदा पर गहरा दुख व्यक्त किया और लोगों से सतर्क रहने की अपील की है।
भारी तबाही और कठिन परिस्थितियों के बावजूद मां नन्दा की विदाई ने स्थानीय संस्कृति और आस्था की गहरी जड़ों को प्रदर्शित किया। दुर्गम रास्तों और प्रतिकूल मौसम के बावजूद लोग अपनी परंपराओं को निभाते हुए मानसिक शक्ति और साहस का परिचय दे रहे हैं।
यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि संकट में साहस और आशा का संदेश भी है। आपदा प्रभावित क्षेत्र के लोगों के लिए यह प्रेरणा का स्रोत बन गया है। कठिनाइयों के बावजूद इस परंपरा का निर्वाह पहाड़ के लोगों की जीवटता और संस्कृति के प्रति गहरे लगाव को उजागर करता है। थराली में मां नन्दा की विदाई ने साबित किया कि आस्था और विश्वास संकट के समय में भी लोगों को मजबूती और नई ऊर्जा प्रदान कर सकते हैं।